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15,17 नवम्बर 2006 जिनवाणी,
जिनवाणीहिन्दी-मासिक
मंगल-मूल धर्म की जननी, शाश्वत, सुखदा, कल्याणी । द्रोह, मोह, छल, मान-मर्दिनी, फिर प्रगटी यह 'जिनवाणी' ।।
प्रतिक्रमण विशेषाङ्क
परस्परोपग्रहो जीवानाम्
सम्पादक डॉ. धर्मचन्द जैन
प्रकाशक सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, बापू बाजार, जयपुर
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