________________
साधना की भूमिकाएं । १०५ घटित होता है । कभी वह घटित हेता है जो हम चाहते हैं और कभी वह घटित होता है जो हम नहीं चाहते । चाहा भी घटित होता है, अनचाहा भी घटित होता है । अब यदि इसके साथ हमारे मन का चक्का भी घूमता रहेगा तो इतनी उलझनें बढ़ जाएंगी कि अन्ततः आत्महत्या के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचेगा । एक आदमी का जब मनचाहा होता है तब वह अत्यंत प्रसन्न रहता है । जब वह देखता है कि विश्व के इस क्षितिज पर अनचाहा भी घटित हो रहा है तब उसका मन उलझनों से भर जाता है । इन उलझनों से पार पाने के लिए वह आत्महत्या को कारगर मान बैठता है।
एक सुन्दरी है । फिल्म अभिनेत्री या नर्तकी है । वह अभी यौवन की दहलीज पर है | राष्ट्र या विश्व में उसका सम्मान होता है । वह विश्व-प्रसिद्ध हो जाती है । उसकी अवस्था बदलती है । वह जीवन को पार कर वृद्धावस्था की ओर बढ़ती है । अब उसे लगता है कि उसे कम सम्मान मिल रहा है | उसका आकर्षण कम हो गया है । जो प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि प्राप्त थी, वह धीरे-धीरे कम हो रही है । लोगों में जो प्रियता थी वह कम हो रही है, तब वह सुन्दरी संतुलन खो बैठती है और अपने जीवन को समाप्त करने पर तुल जाती है । इस प्रकार अनेक महिलाओं ने आत्महत्या कर अपनी जीवन-लीला समाप्त की है । ऐसा क्यों होता है ? यह इसलिए नहीं होता कि पहले जो सम्मान प्राप्त था वह आज नहीं है, जो प्रियता या आकर्षण था, वह आज नहीं है । किंतु यह इसलिए घटित होता है कि मन के साथ एक रागात्मक भाव जुड़ा था, उसकी अब पूर्ति नहीं हो पाती । ऐसी स्थिति में मन को इतनी गहरी ठेस लगती है कि व्यक्ति तिलमिला उठता है, वह अपने आपको संभाल नहीं पाता है।
एक व्यक्ति के पास करोड़ों की संपत्ति है । क्या उसके लिए इतनी संपत्ति उपयोगी है ? नहीं । वह उस संपत्ति को भूमि में गाढ़कर रखेगा । क्या उसका कोई उपयोग है ? फिर भी मन में एक रागात्मक भाव जुड़ा हुआ है कि यह मेरा है । यह मेरी संपत्ति है । यह भाव उसे संतोष दे रहा है । मानसिक संतोष पलता है, मानसिक तृप्ति मिलती है । जिस दिन संपत्ति चली जाती है या उस पर रहा हुआ स्वामित्व छूट जाता है तब आदमी अस्त-व्यस्त, आकुल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org