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" कहं मे या ताडिया ? सा हि पढनपसंग तुज्झ पहिपह दाऊण अम्हं कुलधम्मं आइण्णा ।
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सो जंपड़ - " अम्हवि एस कुलधम्मो जइपुण सो कुलधम्मो कहवि न कज्जइ तो सा समुरकुलं न नंदेइ | "
तओ जणणीए पुत्तीए समीत्रमागन्तुं भणियं - " जहेव देवस्स वट्टिज्जासि तहेव पइणो वट्टिज्जासि । न अन्नहा इमो नुह पियकरो " त्ति |
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( उपदेशपद )
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