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४-६ पंचण्ह, पंचण्हं
शेष रूप वीर के बहुवचनके अनुसार ।
क्रियापद सूचना:-प्राकृतमें गणोंका भेद, आत्मनेपद या परस्मैपदका भेद, सेट् अनिट् का भेद इत्यादि कुछ भी नहीं है । मात्र स्वरांत
और व्यंजनांत धातुके रूपमें इतना फरक होता है कि व्यंजनांत धातुके अंतमें अ अवश्य लगता है और स्वरांत धातुको विकल्पसे लगता है । धातुके कुछ मुख्य मुख्य रूप, उदाहरणके तौर पर दिये जाते हैं।
घर्तमानकाल
हसमि, हसामि, हसेमि, हसमो, हसामो, हसिमो, हसेन्ज, हसेज्जा (हसामि) हसेमो, हसेज्ज, हसेज्जा
(हसामः) २ हससि, हसेसि, हससे, हसइत्या, हसेइत्था,
हसेसे, हसह, हसेह, हसेज, हसेन्जा (हससि) हसेज, हसेन्जा (हसथ) ३ हसइ, हसेइ, हस, हसंति, हसेंति, हसंते, हसेंते, हसेए, हसेज्ज, हसेज्जा हसइरे, हसेइरे, हसेज्ज,
(हसति) हसेज्जा (हसन्ति) नोंधः-प्रथम पुरुष बहुवचनमें मो, मु, म ऐसे तीन प्रत्यय धातुसे लगते हैं। उनमेंसे मात्र मो का रूप ऊपर दिया गया है। मु और म का भी उसके समान समझना जैसे:-हसमु, हसम..
हसामु हसाम/इ०
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