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उदा:-(१) पुंछ ( पुच्छ. ) (२) मणसी ( मनस्वी ) (३) अइमुंतय ( अतिमुक्तक )।
(६) जहां स्वरादि पदोंकी द्विरुक्ति हुई हो, वहाँ दो पदोंके वीचमें म् विकल्पसे आ जाता है। एक + एक, एकमेक, एकेक ( एकैकम् )
(७) कितनेक शब्दोंमें प्रयोगानुसार अनुस्वारका लोप हो जाता है । वीसा (विंशति ), सीह (सिंघ-सिंह )
अव्ययसंधि (१) पदसे रे आये हुए अपि के अ का लोप विकल्पसे होता है । लोप होनेके बाद अपि का ५ यदि स्वरसे परे हो तो उसका व् हो जाता है।
उदा० कह + अपि = कहपि, कहमवि (कथमपि) । केण + अपि = केणवि, केणावि ( केनापि )।
(२) पदसे परे आये हुए इति के इ का लोप होता है । और यदि वचा हुआ 'ति' स्वरसे परे हो तो उसका त्ति हो जाता है। उदा० किं+ इति = किंति। तहा + इति = तहत्ति ।
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