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तणणाले आ - (तृणालिकाः)
घास की पूलिका । तत्यमिय० -- (त्रस्तमृगप्रलय
सरीसृपेषु) मृग, प्रलय [ एक प्रकार फा जंगली पशु] और सर्पो के त्रस्त
होने पर । तत्था - (त्रस्ता) त्रास पाये
ताते (तपा) उसगे। तामलित्तीनयरीते - ( ताम्र
लिप्तिनगर्याम् ) बंगदेश की
राजधानी में । तालुग्याडणि० -(तालोद्घाट
नीविघाटितकपाट:) ताला खोल देने की विद्या से जिसने दरवज्जे खोल दिये
तमाणाए- (तम् आज्ञया )
उसको आज्ञा से । तयावरणिजाणं - देखो टि. २६
क. १ तरच्छा-(तााः ) जंगली
प्राणी, साप या घोडा । तल्लिच्छा --- (तल्लिप्साः ) उसको
प्राप्त करने की इच्छावाले। तसिया -- (तसिता) क्लेश
पाई हुई। तंवकुदृगसगासे -- (ताम्रकुट्टक- सकाशे) तांवा को कूटने
वाले के पास से । तवियाओ--- (ताम्रिकाः) तांबे
की।
तालेजा-(ताडयेयम् ) ताडना
करूं। तित्तिरि-(तित्तिरिम् ) तीतर
को । तिीत-- (तृप्तिम् ) तृप्ति को । तियाणि - (त्रिकानि) जहां
तीन रास्ते मिलते हैं वैसे
स्थान । तुटीदाणं -(तुष्टिदानम् ) इनाम । तुयाट्टियन्वं - (त्वग्वर्तिव्यम् ?)
करवट लेना, सो जाना। तूणेहिं - (तूणैः) बाणों से। तणं कालेणं० -देखो टि. ३० ।
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