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जयंति -- (यजन्ति) पूजा करते जीवियविप्पजढं- (जीवितवि
प्रहीणम् ) जीवितरहित । जरचीर -- फटे हुए कपडे । जुजिए -(दे०) बुभुक्षित । जाएस्सति - ( याचिष्यते ) जूत्तिकरा - (युक्तिकराः) बुद्धिमांगेगा।
मान् लोग। जातकम्मं -(जातकर्म) जन्म- जूवखलयाणि - (युतखलकानि)
संस्कार [ देखो 'भ. म. नी चूत के स्थळ-जुए के अड़े।
धर्मकथाओ' का कोश। जोइसियदेवा - (ज्योतिपिकजातिसरण - ( जातिस्मरणम् )
देवाः) सूर्य, चंद्र, तारे पूर्व जन्म का स्मरण ।
इत्यादि । जायं-(यागम् ) याग को
जोएइ - (पश्यति ?) देखता है। पूजा को [ देखो 'भ. म.
जोगमज-(योगमद्यम्) मूर्छित नी धर्मकथाओ' का कोश |
करने के लिये उपयोग में
लाया जानेवाला एक प्रकार जालघरएसु - ( जालगृहेषु )
का मद्य । · जाली लगे हुए घरों में। जोयणतरियं-(योजनान्तरिकम् ) जितसत्तू - देखो टि. ३६ ।।
एक योजन का अंतरवाला। जिमियमुत्तु-(जिमितभुको
त्तरागतानार) खा पी कर झामेइ-(दे०) जलाता है । आये हुए।
[देखो झियायमाणसि] । जियारि-(जितारिः) अजित झियायति -(ध्यायति) ध्यान
राजा फा दूसरा नाम । चितन करता है। जीवंतो-(मजीविष्यत् )जीता झियायमाणसि-देखो टि. १४, रहता। .
क. १ ।
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