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अणुवरोहेण -- ( अनुपरोधेन ) बेरोकटोक से
संकोच न
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रख कर ।
अतित्थेणं-- ( अतीर्थेन) जहां घाट
नहीं था उस जगह से । अतियाकुच्छी- ( अजिकाकुक्षी: )
बकरी जैसी कुक्षीवालाअर्थात् बकरी की कुक्षी के समान कुक्षीवाला |
(अस्थामा ) निर्बल |
( अन्यो
अन्नमन्नमणुव्वयया न्यानुवजकाः ) एकदूसरे को अनुसरनेवाले । अन्नमन्नहियतिच्छियकारया
अत्यामे
(अन्योन्यहृदयेप्सित कारकाः) एकदूसरे के हृदय की इच्छा के माफिक करनेवाले |
अन्नाए - ( अज्ञाते) नहीं जाने
हुए ।
अपयस्स
[२०९ ]
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( अपदस्य ) विना
पैरों के, सर्प आदि प्राणी
का |
अपासमाणे
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नहीं देखता हुआ |
( अपश्यमानः )
अप्पिणामि --- ( अर्पयामि) देता हूँ । अप्पेगतिया - ( अपि एकैकाः ) कितने ही [ तकार उच्चारण के लिये देखो टि. १२,
क. १] ।
अबिजा - ( अवीजा:) वीजशक्ति से रहित ।
अमहिय – (अभ्यधिक) अधिकाधिक ।
अविभतरियं च (अभ्यन्त रि
फाम् च प्रेषणकारिकाम् ) अंदर का लाना ले जाना
करनेवाली ।
अवक्खेति
( अभ्युक्षति )
अभिषेक करती है ।
अवभुवगए - ( अभ्युपगते )
स्वीकार करने के बाद
अभिगय० ( अभिगतजीवाजीवः) जीव और अजीब के स्वरूप को पहिचानने
बाला ।
अभिरममाणगाति - ( अभिरममाणकानि ) खेलते हुए ।
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