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बीए जामे जग्गेइ माहणो सोवि पिच्छइ तहेव । तइयम्मि वाणिओ तं दट्ठण न लुभए तम्मि ॥ ६ ॥ जग्गइ चउत्थजामे सुवण्णयारो सुवण्णपुरिसं तं । दगुण विम्हियमणो भणइ इमं एस अत्यो त्ति ॥ ७ ॥
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पुरिसेण जंपियं एस अस्थि अत्थो परं अणत्थजुओ । जंपइ सुवण्णयारो न होइ अत्यो अणत्थजुओ ॥ ८ ॥
पुरिसो जंपइ तो किं पडामि ? पडसु त्ति जंपइ कलाओ। पडिओ सुवण्णपुरिसो छिंदइ सो अंगुलिं तस्स |॥ ९ ॥ खड्डाए पक्खित्तो सुवण्णपुरिसो सुवण्णयारेण । गोसम्मि पत्थिया ते सुवण्णयारेण तो भणिया ॥ १० ॥
किं देसंतरभमणेण अस्थि एत्थवि इमो कणयपुरिसो। खड्डाइ मए खित्तो तं गिण्हह विभज्जिउं सन्चे ॥ ११ ॥
तो सब्वेवि नियत्ता अंगुलिकणगेण भत्तमाणे । चणिओ सुवण्णयारो य दोवि पत्ता नयरमञ्झे ॥ १२ ॥ चिंतियमिमेहिं हणिमो खत्तियमाहणसुए उवाएण । अन्हं चिय दोण्हं जेण होइ एसों कणयपुरिसो॥ १३ ॥
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