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________________ ताजा कलम जब धन्ना-शालिभद्र और धन्ना-काकंदो को भरपूर सुख-साहबीका एकही झटकेमे त्याग और महाभिनिष्कमण के पथ पर विचरण----- यह विवेचन----- (भलेही बाल भाषामे) लिखते लिखते तो मेरी आँखो में भी दो बूंद आ गयी.. मेरे हिसाबसे ये दो बुंदेही राजगृही की चारो ओर परिकम्मा लगाती राजु और सजुकी मित्र-जोडी है........ जो घटनाओको तात्त्विक विचारणाकी कसोटीपर चडती है। घटनाये बिलकूल सत्य है.... बनी हुयी हकीकत त्यै जब की दोनो पात्र और कुछ घटनास्थल काल्पनिक है। फिर भी घटनाओंको सुंदर आकार देते है। मित्र-जोडी के साथ आप भी जुड जाना... उस घटनाओं और घटनास्थलों को स्पर्श करते करते आपके नयनों में कहीं एक बार दो बूंदे संवेदनाकी आ जाये तो समझ लेना की ..... आपकी राजधानी (राजगृही) की भावयात्रा सफल.. For Private Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.002739
Book TitleEk Safar Rajdhani ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmadarshanvijay
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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