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सोलहसहसपुरहाणधडर विविधरकणयधरणियम विविसाहणविधिहरायणयाल
नवनिधिचडद हरस्वररथचक्र वर्तिकेय
| विविन्नमत्रादाम विविवाहणाईसकामविविदश्वकमनसोकशविविहसय सङ्ग
गणबद्ध सोलह हजार देवों के विविध घर और स्वर्णधरणीतल थे, विविध आसन और विविध शयनतल थे। विविध छत्र, मुक्तामालाएँ, चित्त में अनुराग उत्पन्न करनेवाले विविध आभरण, शरीर को सुख देनेवाले विविध
वस्त्र और विविध सरस
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