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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध- सन्दर्भ 389. जैन, त्रिशला हिन्दी के जैन महाकाव्य (जैन महापुरुषों के जीवन, जैन दर्शन और जैन अध्ययन पर आधारित हिन्दी के महाकाव्य) रुहेलखण्ड, 1985, अप्रकाशित नि०- डा० विद्याधर त्रिपाठी, हि० वि०, बरेली कालेज, बरेली (उ०प्र०) 390. जैन, दीपिका बीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य में भगवान् महावीर इन्दौर, 2002, अप्रकाशित नि०- डा० शकुन्तला सिंह, इन्दौर 391. जैन, देवेन्द्र कुमार हिन्दी भाषा और साहित्य पर जैन अपभ्रंश साहित्य का प्रभाव अलीगढ़, 1961, 392. जैन, धन्यकुमार छठी से आठवीं शताब्दी के हिन्दी जैन लेखक अप्रकाशित आगरा, 393. जैन, धन्यकुमार प्राचीन हिन्दी साहित्य पर जैन साहित्य का प्रभाव अलीगढ़, 1961, अप्रकाशित 394. जैन, नरेन्द्र कुमार शास्त्री महाकवि भूधरदास : एक समालोचनात्मक अध्ययन राजस्थान, 1993, प्रकाशित Jain Education International 89 नि०- डा० नरेन्द्र भानावत, जयपुर (राज० ) प्रका०- सदासुख गन्थमाला, डा० नन्दलाल मार्ग, पुरानी मण्डी, अजमेर (राज०) प्रथम : 1997 / 80.00/26 + 456 अ०- (1) सन्तसाहित्य : एक अनुशीलन (2) भूधरयुगीन पृष्ठभूमि, (3) जीवनवृत्त एवं व्यक्तित्व, (4) रचनाओं का वर्गीकरण : एक परिचयात्मक अनुशीलन, (5) भूधरदास की रचनाओं का भावपक्षीय अनुशीलन, ( 6 ) भूधरदास का कलापक्षीय अनुशीलन, ( 7 ) भूधरदास द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक, धार्मिक एवं नैतिक विचार, (8) हिन्दी सन्त साहित्य में भूधरदास के साहित्य का मूल्यांकन, (9) उपसंहार : भूधरदास का योगदान । For Private & Personal Use Only (लघु प्रबन्ध) www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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