________________
प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
अ०- (1) विषय प्रवेश (2) काव्य स्वरूप एवं महाकाव्य में मुनिसुव्रत काव्य का स्थान, (3) काव्यात्मक अनुशीलन (4) कथा तत्त्व एवं मुनिसुव्रत काव्य के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण (5) भौगोलिक एवं सामाजिक विश्लेषण (6) कला और मनोरंजन (7) धर्म और दर्शन (8) उपसंहार ।
244. Sharma, Krishnadhar
A Study of Dvyasraya Mahakavya of Hemachandra Gorakhpur, 1979, Unpublished. .
245. शर्मा, कैलाश चन्द
सुदर्शनोदयमहाकाव्यस्य काव्यशास्त्रीय-परिशीलनम् (संस्कृत) राजस्थान, 2003, अप्रकाशित नि०- डा० शीतल चंद जैन, जयपुर
246. शर्मा, भागवत शरण
संस्कृत गद्य साहित्य में गद्यचिन्तामणि का स्थान एवं समीक्षात्मक अध्ययन
आगरा, ............, अप्रकाशित 247. शर्मा, रामावतार
वीरोदयमहाकाव्यस्य काव्यशास्त्रीयपरिशीलनम् (संस्कृत) राजस्थान, 2003, अप्रकाशित
नि०- डा० शीतल चंद जैन, जयपुर 248. शर्मा, शिवकुमार
वादीभसिंह सूरि कृत क्षत्रचूड़ामणि : एक अध्ययन मेरठ, 1991, प्रकाशित नि०- डा० जयकुमार जैन, मुजफ्फरनगर हिन्दू इन्टर कॉलेज, कांधला (मुजफ्फरनगर) उ०प्र० प्रका०-- मानसी प्रकाशन, मेरठ (उ०प्र०) प्रथम : 1999/350.00/264 अ०- (1) जैन वाङ्मय और जीवन्धर चरित, (2) ग्रन्थकार और ग्रन्थ, (3) कथावस्तु का मूल स्रोत, परिवर्तन और परिवर्धन, (4) तात्कालिक परिवेश, (5) दार्शनिक अनुशीलन, (6) काव्यशास्त्रीय समीक्षा, (7) चरित्र चित्रण, (8) प्रभाव, (9) उपसंहार।
249. Sharma, S.K.
A Critical Study of Tilak Manjari of Dhanpala Kurukshetra, .............., Unpublished.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org