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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध- सन्दर्भ कौशिक, जगदीशप्रसाद अपभ्रंश के विकासक्रम में पश्चिमी राजस्थानी राजस्थान, 1970, अप्रकाशित 48. 49. 50. 51. 52. 53. गुप्त, कमला जम्बूसामिचरिॐ : कथावस्तु का समग्र अनुशीलन, इन्दौर, 1975, अप्रकाशित नि०- डा० देवेन्द्र कुमार जैन गुप्ता, छैल विहारी अपभ्रंश के महाकवि स्वयम्भू और उनका पउम चरिऊ ( अनेकान्त शोधपीठ, बाहुबली से सहयोग प्राप्त) चौबे, भानुप्रताप सन्देशकाव्य- परम्परा और सन्देश रासक वाराणसी, 1983, अप्रकाशित जैन, आभारानी (श्रीमती) मुनि रामसिंह विरचित दोहापाहुड ग्रन्थ का अनुशीलन संस्कृत विद्यापीठ, 2002, अप्रकाशित नि०- डा० सुदीप जैन, दिल्ली जैन, देवेन्द्र कुमार जोइन्दुदेव की भाषा, रायपुर, 1983, अप्रकाशित नि०- डा० कान्तिकुमार जैन, सागर विश्वविद्यालय, सागर (म०प्र०) ( डी० लिट्०) 54. जैन, देवेन्द्र कुमार ( स्व ० ) अपभ्रंश साहित्य, आगरा, 1957, प्रकाशित नि०- (1) आचार्य केशव प्रसाद मिश्र ( 2 ) डा० हीरालाल जैन ( अपभ्रंश भाषा और साहित्य' नाम से प्रकाशित) प्रका० भा० ज्ञा०, नई दिल्ली 37 Jain Education International प्रथम : 1965 / 12.00 / 16 + 347 अ०- (1) अपभ्रंश भाषा (2) युग और स्रोत, (3) अपभ्रंश कवि (4) अपभ्रंश काव्य, (5) अपभ्रंश काव्यों का वस्तु वर्णन, (6) अपभ्रंश काव्यों की रस सिद्धि, (7) अपभ्रंश काव्यों की अलंकार योजना, (8) अपभ्रंश काव्यों की छन्द योजना, (9) अपभ्रंश काव्यों का प्रकृति चित्रण, ( 10 ) अपभ्रंश साहित्य में वार्णित समाज और संस्कृति, (11) अपभ्रंश काव्यों में चर्चित दार्शनिक मत । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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