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________________ सम्मानीय पाठकवृन्द ! हमें अपार प्रस्तुत शोध- सन्दर्भ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है, इसकी उपयोगिता का निर्णय हम आप पर छोड़ते हैं । हमारा विनम्र अनुरोध है कि (i) इसमें जो त्रुटियाँ हों उनकी ओर हमारा ध्यान अवश्य आकृष्ट करने का कष्ट करें । (ii) (iii) आपने स्वयं शोधकार्य किया हो, आपके निर्देशन में कार्य हुआ हो तथा उसका उल्लेख इसमें न आया हो तो उसकी सूचना अवश्य देने का कष्ट करें। पत्राचार का पता इसमें न हो / गलत हो / परिवर्तित आ हो तो सूचित करें । (iv) आपकी दृष्टि में शोध योग्य विषयों की सूची भेजें। (v) प्राकृत एवं जैनविद्या, शोध-प्रबन्ध संग्रहालय हेतु अपने या आपके निर्देशन में हुए शोध-प्रबन्ध की प्रकाशित या टंकित प्रति अवश्य भेजें, जिससे उसका प्रचार / प्रसार हो व आपका महनीय कार्य प्रकाश में आ सके । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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