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________________ 160 Bibliography of Prakrit and Jaina Research 854. सिंह, अरुण प्रताप जैन एवं बौद्ध दर्शन में भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति, विकास एवं स्थिति वाराणसी, 1983, प्रकाशित व्याख्याता- प्रा० भा० इ० एवं पुरातत्त्व विभाग-बजरंग महाविद्यालय दादर आश्रम, सिकन्दरपुर, जिला-बलिया (उ०प्र०) प्रका०- पा० शो०, वाराणसी प्रथम : 1986/73.00/12 + 261 अ०- (1) जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना, (2) आहार तथा सूत्र-वस्त्र सम्बन्धी नियम, (3) यात्रा एवं आवास सम्बन्धी नियम, (4) जैन एवं बौद्ध भिक्षुणियों की दिनचर्या, (5) भिक्षुणियों के शील सम्बन्धी नियम, (6) संगठनात्मक व्यवस्था एवं दण्ड प्रक्रिया, (7) भिक्षु-भिक्षुणी एवं संघ की भिक्षुणी की स्थिति, (8) भिक्षुणी संघ का विकास एवं स्थिति, (७) उपसंहार। 855. सिंह, महेन्द्रनाथ उत्तराध्ययन और धम्मपद का तुलनात्मक अध्ययन वाराणसी, 1986, प्रकाशित नि०- डा० सागरमल जैन 'बौद्ध तथा जैन धर्म' (धम्मपद और उत्तराध्ययन सूत्र का एक तुलनात्मक अध्ययन) नाम से प्रकाशित प्रका०- विश्वविद्यालय प्रकाशन, चौक, वाराणसी (उ०प्र०) प्रथम : 1990/110.00/284 अ०- (1) धम्मपद में प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा का उत्तराध्ययन में प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा से साम्य-वैषम्य (2) धम्मपद के धार्मिक सिद्धान्त और उत्तराध्ययन में प्रतिपादित धार्मिक सिद्धान्तों से तुलना (3) धम्मपद में प्रतिपादित बौद्ध आचार और उसकी उत्तराध्ययन में प्रतिपादित जैन आचार मीमांसा से तुलना (4) धम्मपद में प्रतिपादित मनोवैज्ञानिक धारणायें और उनकी उत्तराध्ययन में प्रतिपादित मनोविज्ञान से तुलना (5) धम्मपद में प्रतिपादित सामाजिक एवं सांस्कृतिक सामग्री तथा उसकी उत्तराध्ययन में प्रतिपादित सामाजिक एवं सांस्कृतिक सामग्री से समानता और विभिन्नता। 856. Solomon, Esthar Abraham Avidya and the Cognate Concepts in Vedic, Buddhist and Jaina Darshans. Mumbai, 1954, Unpublished. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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