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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध- सन्दर्भ
735. मिश्रा, धनंजय
आचार्य हरिभद्र का योगदर्शन वाराणसी, 1992, अप्रकाशित नि०- डा० आर० आर० पाण्डेय
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737. राजपूत, पंकज (कु०)
अनगार धर्मामृत : एक समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, 2002, अप्रकाशित
नि०- डा० रमेशचंद जैन, बिजनौर
Varsha Manilal
Dhyana in Jainism: A critical study Chennai, 1992, Unpublished. Sup. - Dr. Vasupal
739. शर्मा, सीमा
जैन परम्परा में ध्यान का स्वरूप : एक समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, 1990, प्रकाशित
नि०- डा० रमेशचन्द जैन, बिजनौर
D/o श्री मुन्ना जी, बन्दूक वाले, स्टेट बैंक कालोनी, रोड़, बी-14 नई बस्ती, बिजनौर ( उ०प्र०)
प्रका०- पीयूष भारती, बिजनौर ( उ०प्र०)
प्रथम : 1992 / 150.00 / 14 + 258
अ०- ( 1 ) भारतीय परम्परा में ध्यान, ( 2 ) ध्यान का प्ररूपक जैन साहित्य, (3) जैन परम्परा में ध्यान, (4) ध्यान के भेद, (5) रौद्र ध्यान, (6) धर्म ध्यान का स्वरूप, (7) धर्म ध्यान का वर्गीकरण, (8) शुक्ल ध्यान, ( 9 ) ध्यान का लक्ष्य, लब्धियाँ एवं भेद, (10) उपसंहार ।
740. Shashi Prasad
Life and Conduct of Jain Monks as depicted in Jain Canons.
Bihar, 2000, Unpublished.
Sup. - Dr. Arun Kumar Mishra, Dept. of Philosophy
143
741. Shekhar B.
Dharma in Shramanic Traditions with special reference to Jaina Tradition Chennai, 1992, Unpublished.
Sup. - Dr. M.D. Vasantraj
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