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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 133 जैन पुराण JAINA PURANAS 674. कालानांदडे, सौ. अरुण रविन्द्र कुमार जिनसेन का आदिपुराण मराठवाडा, 1992, अप्रकाशित 675. गुलाटी, मधु (कु०) आचार्य जिनसेन कृत हरिवंश पुराण में प्रतिपादित धर्म और दर्शन का समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, 2002, अप्रकाशित नि०- डा० रमेश चंद जैन, बिजनौर 676. चौधरी, राममूर्ति हरिवंशपुराण : एक सांस्कृतिक अध्ययन वाराणसी, .........., प्रकाशित नि०- डा० लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी, वाराणसी तुलसीनगर, वक्सरिया टोला, अयोध्या (फैजाबाद) प्रका०- सुलभ प्रकाशन, 16 अशोक मार्ग, लखनऊ (उ०प्र०) प्रथम : 1989/132.00/4 + 373 अ०- (1) प्रस्तावना, (2) सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति, (3) धर्म-दर्शन, (4) राजनीति, (5) स्थापत्य एवं कला, (6) उपसंहार। 677. छावड़ा, गुलाब चन्द रविषेणाचार्य का पद्मपुराण : एक अध्ययन राजस्थान, 1986, अप्रकाशित 580, गोधा भवन, गोधों का चौक, हल्दियों का रास्ता, जयपुर (राजस्थान) 678. जैन, अनीता रानी जिनसेन कृत आदि पुराण का समीक्षात्मक अध्ययन मेरठ, 1995, अप्रकाशित नि०- डा० सभापति शास्त्री, साहिबाबाद (उ०प्र०) 679. जैन, उदयचन्द आदिपुराण में प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा इन्दौर, 1978, अप्रकाशित प्राकृत विभाग, मो० सु० वि० वि०, उदयपुर, पिन-313001 (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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