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________________ 118 574. जैन, महेन्द्र कुमार सिद्धिविनिश्चयटीका का समालोचनात्मक सम्पादन वाराणसी, 1959, प्रकाशित 575. जैन, योगेश चन्द्र जैन दर्शन में बन्ध मोक्ष राजस्थान, 1984 प्रकाशित नि०- डा० प्रेमचन्द जैन, जयपुर प्रका० - श्री भूपकिशोर स्वाध्याय समिति, ग्वालियर (म०प्र०) 576. जैन, रतनचन्द्र Bibliography of Prakrit and Jaina Research प्रथम : 1989 / 4.00/103 अ०- (1) बन्ध मोक्ष का स्वरूप एवं सिद्धि, (2) जीव द्रव्य के बन्ध का स्वरूप, (3) जीव बन्ध के कारण, (4) जीव द्रव्य का मोक्ष, (5) पुद्गल द्रव्य का स्वरूप, (6) उपसंहार । जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहार नय भोपाल, 1980, प्रकाशित नि०- डा० राम कृष्ण सराफ A / 2 मानसरोवर, शाहपुरा, भोपाल-462016 'जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहारनय: एक अनुशीलन' नाम से प्रकाशित प्रका०- पा० शो०, वाराणसी #577. जैन, राका (कुमारी) प्रथम : 1997/250.00/26 + 260 अ०- (1) निश्चय और व्यवहार नयों की पृष्ठभूमि, (2) निश्चय नय, (3) असद्भूत व्यवहारनय, (4) उपचारमूलक असद्भूत व्यवहार नय (5) सद्भूत व्यवहारनय, ( 6 ) व्यवहारनय के भेद, ( 7 ) निश्चय और व्यवहार की परस्पर सापेक्षता, ( 8 ) निश्चय - व्यवहार मोक्षमार्गों में साध्यसाधक भाव, ( 9 ) साध्यसाधक भाव की भ्रान्तिपूर्ण व्याख्यायें (10) मोक्षमार्ग की अनेकान्तात्मकता, (11) उपादान निमित्त विषयक मिथ्या धारणायें ( 12 ) निश्चयाभास एवं व्यवहाराभास | जैन परम्परा में स्वामी समन्तभद्राचार्य का योगदान (लघु शोध प्रबन्ध) 578. जैन, राजकुमार कानपुर, अप्रकाशित प्रवक्ता संस्कृत, नेशनल कॉलेज, भोगाँव, जिला - मैनपुरी ( उ०प्र०) Jain Education International जैन दर्शन में द्रव्य की अवधारणा और कार्यकारण सम्बन्ध अज्ञात, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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