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________________ Jain Education International बारहणुवेक्खा - आचार्य कुन्दकुन्द आराधनासार- देवसेन गोम्मटसार कर्मकाण्ड आचार्य नेमिचन्द्र समयसार - आचार्य कुन्दकुन्द पंचसंग्रह - सुमतिकीर्ति भट्टारकीय ग्रन्थ भण्डार, नागौर : यह भण्डार प्राकृत-अपभ्रंश के ग्रन्थों के लिए महत्त्वपूर्ण है। यहाँ अपभ्रंश के बहुत ग्रन्थ संगृहीत है, कुछ के नाम इस प्रकार है: परमात्मप्रकाश योगीन्दुदेव (संवत् १४४०) वरांग चरित्र - पं. तेजपाल (संवत् १६०७) इष्टोपदेश- अमरकीर्ति (संवत् १४६८ ) सम्यक्त्व कौमुदी रइधू ( संवत् १६०९) आत्म सम्बोध काव्य- इधू ( संवत् १६१२ ) श्रीपाल चरित्र - पं. नरसेन (संवत् १५७१) सकल विधि विधान काव्य- नयनन्दि (संवत् १५७७) ऋषभनाथ चरित्र - पुष्पदन्त (संवत् १६१६) चन्द्रप्रभ चरित्र - यश: कीर्ति (संवत् १५८१) भविष्यदत्त चरित्र - धनपाल (संवत् १६२८) मदनपराजय-हरिदेव (संवत् १५८७ ) मिनाह चरित्र - पं. दामोदर वर्द्धमान काव्य- जयमित्तहल्ल (संवत् १५९२) यहाँ प्राकृत के भी कई ग्रन्थ संगृहीत है। कुछ के नाम इस प्रकार है : जीव प्ररूपण - गुणरयण भूषण ( संवत् १५११ ) भगवती आराधना- शिवार्य (संवत् १५६८) भावसंग्रह - देवसेन (संवत् १६०४) - बाहुबली चरित्र - पं. धनपाल - सप्ततत्त्वादि वर्णन (संवत् १६१४) भगवतीसूत्र (संवत् १६०९) उपासकाध्ययन-आचार्य वसुनन्दि (संवत् १६४८) प्राकृत- पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only (६१) www.jainelibrary.org
SR No.002730
Book TitlePrakrit Pandulipi Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2006
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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