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देवताम चलि केवेंा ४३ एबुरा जानु वचन समितीने क तेदेवीजन्मांतरना स्नेह न्युय वैरपोषनामीचा ज्ञान कहें ताहवा की मरने आगी तिसरोही ॥वशति के लिए कहिये तीसे जमी तर सिहाई राजाराणि कहताह वाह विपाक महान जिन बें प्रति ४४ हे त्रयवन किवारैरना स्वामित्र कर्मनो दुखदा बिई संगम स्पे बितितनुसा मित्र बनिने कम्मपरिणामो ॥४४॥ चयर्व कथा विही अमारो ताकम की मनिमाविम जी भगवन् बात्यास जिवारे विहार करतोक पस्ते को देवें केव गममा स्ता रमलो होइही हि अम्मा कुमारसँगमोहनी नेता हो हिपुण जयेइहवमागमिसा बीसुनी छाप इसके नाम की ऊमरनामातपिता संसाररीने चिरजा धु सांमजीनें पम्पासता मो॥४५॥ इयर्स लिन संविग्गाऊ मरमात्रापि प्रपि मम लहसु विस्थापन करी लेनी ज्ञानी पास्पेसुरनानु ४६ दुखें पालीसकें एहवी चा रि क्ल सव सुपी हेच पहा रिता वी त्रनेत प्रतेकरती हावी राजा सवारजे तयतिएचर लम वन्ना॥४६॥कर तवचरणपरा पर
'नेराजम
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प्राकृत पाण्डुलिपि चयनिका
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