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________________ अमरदेवीनेत्री जो लोग लोग ने कहें बैंकमरनीमा लापता पुत्र वियोग नित्ये अत्यंत व या टाचें के पति सवा चार दिसी सेवक गर्नवरसंचर दिवारी मोगविज्ञा T गृहवस्स अम्मा पिपरे। प्रज्ञवियोग एड पास अधिकारी पी एकोडरोपदेशें किंचिन्मात्र हिमाम्नी 3g देवनाईजेब रिकयानि सङ्घच विसार्हेतिया लदे तिनहिसु मित्रं पिदेवहित्र रिकरी ऐयत परमनुष्य अन्यसत्वया मनुकनारा क्तिर्मा मनदेवतानीशक्ति मी जेवपुरमा टेक के बे वह रिये इन्नरनरेहिया विएक चटु जेल नरासुराही सीए अंत अंतरबाई 30 अप्पनामातलाय. केवली भगवननेछ वपुस्पपुपु हेन वि या मातापिताई गुरु महते हिस्किएहि अमाप अरे हिके वलीयो नय नस्वामीनू म्हारो की कमर ३९ तेराजाराणीनंच चनसी मूवी इहीपी की ग्यो बेई लवी ने केवली वक हे सोतो कि तो केवल पर्यवसहस नवोल्या Jain Education International प्राकृत पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only (80) www.jainelibrary.org
SR No.002730
Book TitlePrakrit Pandulipi Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2006
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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