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________________ १५४ १५ २० ५ जं दट्टु सक्काण वियँसइ ससहरराहह्यं जो वणवासि वसी यलं जस्स पसाया सीयलं उत्तुंगकोलखंडियकसेरु तहु पुण्वविदेह वहइ विमल खर दंडसंडदलछइयणीर दरिसियपयंडसोंडाललील जुज्झतचडुलकरिमयर णिलय जलपक्खालियतेंड़साहिसा ह दाहिणइ घण्णसं छैण्णसीम जसस सिधवलियदिश्चकवालु महापुराण महसमयम्मि व काणणं । कमलं पिव रविभाहयं । वयणं चंदणसीयलं । हवइ विवि तं सीयलं । वत्ता - गुणभद्दगुणीहि जो संथुङ गुणगर्रुयगइ || दहम जिणणाहु हे Jain Education International वि थुणविं सो दिव्वजइ ||१|| २ पुक्खरवरदीवर पुव्वमेरु । us कीलमाणकारंडजुयल । डिंडीर पिंडपंडुरियतीर | लोलंतथूलकल्लोलमाल | परिभमियगहीरावत्तवलय । णामेण सीय सीयल सगाह । वयं ताहि संठिय सुसीम । तहि यरिहि णरवइ पुहइपालु । जिन्हें देखकर देवेन्द्रका मुख उसी प्रकार विकसित हो जाता है, जिस प्रकार वसन्तकाल के आनेपर कानन, और सूर्यकी प्रभासे आहत होकर कमल खिल जाता है, जो वनमें निवास करते हैं, आत्मा के वशीभूत हैं, जिनके वचन चन्द्रमाके समान शीतल हैं, जिन्हें नमस्कार कर मनुष्य शान्त हो जाता है [ ४८.१.१५ घत्ता - गुणभद्र जो आचार्यके गुणसे संस्तुत हैं, जो गुणोंसे महान् गतिशील हैं, ऐसे उन दसवें जिननाथ दिव्ययति शीतलनाथको मैं प्रणाम करता हूँ || १ || २ जहाँ उन्नत सुअर जड़ोंको खण्डित करते हैं, पुष्करद्वीप में ऐसा पूर्वं सुमेरु पर्वत है । उसके पूर्वविदेह में पवित्र सीता नामकी नदी बहती है, जिसमें हंसयुगल क्रीड़ा करता है, जिसका जल कमलसमूहसे आच्छादित है, फेनोंके समूहसे जिसके तट धवल हैं, जिसमें प्रचण्ड जलगजों की क्रीड़ा दिखाई देती है, जिसमें चंचल स्थूल लहरोंकी माला है, जो लड़ते हुए गजों और मगरोंका घर है, जिसमें गम्भीर जलावर्तोंके समूह परिभ्रमित हैं, जिसके तटवर्ती वृक्षोंकी शाखाओंको जलोंसे प्रक्षालित कर दिया है, और जो ग्राहोंसे युक्त है, ऐसी उस सीता नदीके दक्षिण तटपर धान्योंसे आच्छादित ऐसी सुसीमा नामकी नगरी स्थित है । उस नगरीका यशरूपी चन्द्रसे ७. A विहस । ८ AP गुणगरुवमइ । ९. P हउं थुणामि सो । २. १. A उत्तंग ; P उत्तुंगु । २. P तडि साहिसाह । ३. A For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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