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महापुराण
[१८.१५:१
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घरि भावाणुविभावपयासई णडहं डंति दुतीससहासई। चउरासीलक्खेइमायंगहं. तेत्तीय जि रहाहं सरहंगहं। तइकोडिउ किंकरहं अहंगहं अट्ठारह भणियाउ तुरंगह। चुल्लिहिं कोडि रसायणरसियहं सहइ तिण्णि सयई भाणसियह।. करिसणि गंगरकोडि पयट्टइ फलभारेण धरित्ति विसट्टइ। कालणामु णिहि देइ विचित्तइ वीणावेणुपडहवाइत्तई। णिवहु महाकालु वि संजोयइ पंडु देइ णाणाविहवण्णई। "सालिवीहिपमुहई बहुधण्णइ असिमसिकिसिउवयरणइ ढोयइ। सप्पु वि सयणासणभवणइं वत्थई पोमु पिंगु आहरणइं"। अत्थई सत्थई "माणवु देतउ संखुण थाइ सुवण्णु वहंतउ सव्वरयणणिहि सव्वई रयणइं देइ सिरीवहु उरयलि णयलई घत्ता-असि चक्कु दंडु छत्त वि धवलु पहरणसालहि जायई॥
कागणि मणि चम्मु वि सिरिभवणे सई णरणाहहु आयइं ।।१५।।
रुप्पयमहिहरि सोहियवयणहं पच्छइ पुणु संपत्तई णरवइ चत्तारि वि हूयइं साकेयइ णव णिहि ते वि तहिं जि संभूया णिञ्चमेव तणुरक्खालुद्धहं विविहेघरई कणयधरणियलई विविहई छत्तई मुंत्तादामई विविहई वत्थईकयउसोक्खई को सो' बंभु कासु सुकइत्तणु
संभउ हरिकरिणारीरयणहं । घेरवइ थवइ पुरोहिउ बलवइ । घरसिरधयवारियरवितेयइ। संपाइयइच्छियहलरूया। सोलहसहस सुरहं गणबद्धहं । विविहासणई विविहसयणयलई । विविहई आहरणाई सकामई । विविहई सरसई भोयणभक्खई। को वण्णइ चकवइपहुत्तणु ।
१५. १. M णडंतिउ; B णडंतिहुं । २. MBP लक्खहं । ३. MBP तेत्तियई। ४. MBP सारंगहं । ५. M
तईयकोडिय। ६. B सडढई। ७. MBP लंगल। ८. M धरत्ति । ९. MBP omit this foot | १०. MBP omit this foot । ११. MBP add after this : सव्वइंधण्णई सव्वरसोहइं, पंडु
वि णिहि वि देइ अविरोहई। १२. MBP माणउ । १३. Mभवणे । १६.१. MB घर घर । २. MBP विविहई घरइं। ३. P मोत्तिय । ४. MP संकामइ। ५. MB
कयउवसोक्खई। ६. M सइ ।
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