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संधि १८
णहु लंघिउ सुरगिरि चालियउ धीरें सायरु मवियउ॥ करडिंभु व बंभहु तणउं सुउ उच्चाइवि पुणु थवियउ ॥ ध्रुवकं ॥
णं कमलसरु हिमाहयकायउ दवदड्ढउ रुक्खु व विच्छायउ । जं ओहुँल्लियमुहु पहु दिट्ठउ तं बलि भणइ ह जि णिक्किट्ठउ । चक्रवट्टि णियगोत्तहु सामिउ जेणु महंत भाइ ओहामिउ । हा किं किज्जइ भुयबलु मेरउ जं जायउ सुहिदुण्णयगारउ । महि पुण्णालि व केण ण मुत्ती रज्जहु पडउ बज्जु समसुत्ती। रज्जहु कारणि पिउ मारिज्जइ बंधुवहुं मि विसु संचारिज्जइ । जिह अलि गंधे गउ संघारहु तिह रज्जेण जीउ तंवारहु । भडसामंतमंतिकयभायउ
चितिज्जंतउ सव्वु परायउ । तंडुलपसयहु कारणि राणा णरइ पडंति काइं अवियाणा। डज्झउ रज्जु जि दुक्खं गुरुक्कउ जइ सुहु तो किं ताएं मुक्कउ । सुहणिहि भोयभूमि संपर्ययर कहिं सुरतरु कहिं गय ते कुलयर । घत्ता- दुल्लंघहु ढुक्कियलंछणहो 'दूसहदुक्खदुरंतहो ।
भणु दाढापंजरि पडिउ णरु को उव्वरिउ कयंतहो ॥१॥
कालभुयंगहु को वि ण चुक्कइ मई पइ जेहा बहु वेहाविय एयहि अइअहिलासु ण गम्मइ पडिवण्णउंण केम पालिज्जइ
सुयणत्तणु जि एक्कु पर थक्कइ । पुहइइ पुहइपाल वोलाविय। जणणि जणणु भायरु किह हम्मइ । किह हियवउ कलुसे मइलिज्जइ ।
MBP give, at the commencement of this Samdhi, the following stanza :
शशधरबिम्बात्कान्ति तेजस्तपनाद्गभीरतामुदधेः ।
इति गुणसमुच्चयेन प्रायो भरतः कृतो विधिना ॥ GK do not give it. १. १. P उच्चाविवि । २. P हिमहय but gloss हिमाहत । ३. P दवदठ्ठ व । ४. B ओहुल्लिय महुँ ।
५. MBP महंतु । ६. P हा जं जायउ । ७. P बंधवाई विसु । ८. B दुक्खगुरुक्कउ । ९. P संपयधर । १०. B दुल्लंघियदुक्किय । ११. MB दूसहो ।
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