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[१६. २३. १३
महापुराण घत्ता-पुणु दीसइ संझारायएण मुवणु असेसु वि रत्तउ ॥
सहुँ "गिरिदरिसरिणंदणवणहिं लक्खारसि णं वित्तउ ।।२३।।
२४ आरणालं-आसोसियखमारसो खवियतावसो तरुणिदंसणाओ।
___णं णरमणि ण माइओ दिसहिं धाइओ सहइ मयणराओ ॥१॥ संझारायजलणु जो भमियउ सो तमजलकल्लोलहिं समियउ। संझारायघुसिणु जं संकिउ तं तमोहमयणाहें ढंकिउ । संझारायविडवि जो फुल्लिउ सो तमतंबेरमवइपेल्लिउ । चंदमइंदें तमकरि भग्गउ
किं जाणहुं सो तासु जि लग्गउ । मयणिहेण दीसइ सुहयारउ तप्पवेसु वईरिहिं भल्लारउ । विसइ गवक्खहिं थणय लि घोलइ वहुहारु व सैसितेउ णिहालइ । रंधायारु थियउ अंधारइ दुद्धसंक पयणइ मज्जारइ । रइपासेयबिंदु तेणुजलु
दिट्ठ मुयंगहि णं मुत्ताहलु । दिट्ठउ कत्थइ दीहायारउ
घरि पइसंतउ किरणुक्केरउ । मोर पंडरु सप्पु वियप्पिवि मुद्धे कह व ण गहिउ झडप्पिवि। घत्ता-गंगासरि हंसपक्खदलई पिर्यविरहिणिगंडयलई ॥
जायई ससियरपक्खालियइंधवलाई जि णिरु धवलई ॥२४॥
आरणालं-मम्मणमणियजंपिरं मयणकंपिरं पणयविणयवंतं ।
रइरसरहसरंजियं पिययमा पियं रमइ णिसि रमंतं ॥१॥ केण वि घणथणि णिहियउ करयलु कणयकलसि णावइ रत्तुप्पलु । काइ वि को वि'सुहउ आलिंगिउ मैडमडमुहचुंबणु मग्गिउ । णीहरंति पडिवहुरोसुब्भवि
केण विका विधरिय करपल्लवि । पणपकलहि रमणीचरणंगउ को वि सकुंकुमेण पाएं हउ। सोहइ विडु अइरा रिउ संकिउ णं मयरद्धयमुद्दइ अंकिउ । हार बद्ध का वि सयणालइ ताडिय णाहें चंपयमालइ । बिंबाहररसघयसंसित्तउ
काहं वि मयणहुयासु पलित्तउ । उल्हाविउ रइसलिलपवाहें काइ वि किलिकिंचिउ उच्छाहें । का वि रयावसाणसमरीणी चंदणकदमवाविहि लीणी। को वि का वि सवहहिं रंजइ गुणि अक्कसमाण मज्झु परपणइणि ।
१०. MBP गिरिसरसरि । २४. १. MBP जं। २. P वेरिहि । ३. M सियतेउ । ४. B omits this foot। ५. M रंधायार ।
६. M पियविरहिणं । २५. १. B रहसजंपियं । २. MBPK सुहडु । ३. MBP मंडमंड । ४. MBP कासु । ५. P°रयावसाणि ।
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