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महापुराण
[१६. २१. १० सिहिसिहाहं देविंदु वि ण सहइ महु मणसियहु विसिह को विसहइ । एक्कु जि परउवारु णरिंदहु जइ पइसरइ सरणु"जिणयंदहु । घत्ता-संघट्टमि लुट्टमि गयघडहु दलमि सुहड रणमग्गइ ।।
पहु आवउ दावउ बाहुबलु महु बाहुबलिहि. अग्गइ ॥२२॥
२२
आरणालं-ता दूउ विणिग्गओ णियपुरं गओ तम्मि णिवणिवासं।
सो विण्णवइ सायरं सारसायरं पणेविउं महीसं ॥१॥ विसमु देव बाहुबलि णरेसरु णेहु ण संधइ संधइ.गुणि सरु । कन्जु ण बंधइ बंधइ परियरु संधि ण इच्छइ इच्छइ संगरु । पई णउ पेच्छइ पेच्छइ मुयबलु आण ण पालइ पालइ णियछलु । माणु ण छंडइ छंडइ भयरसु दयवु ण चिंतइ चिंतइ पोरिसु । संति ण मण्णंइ मण्णइ कुलकलि पुहइ ण देइ देइ बाणावलि । तुज्झु ण णवइ णवइ मुणितंडउ अंगु ण कड्ढइ कड्ढइ खंडउ । देव ण देइ भाइ तुह पोयणु पर जाणमि देसइ रणभोयणु । ढोयइ रयणई णउ करिरयणइं ढोएसइ ध्रुवु णरउररयणइं। पत्ता-संताण कलक्कम गरुकहिउ खत्तधम्म णउ बज्झह ॥
मज्जायविवजिउ सामरिसु अवसें दाइउ जुज्झइ ।।२२।।
२३ आरणालं-ता परिल्हसिउ दिणमणी णं सिरोमणी गयणकामिणीए ।
____ अत्थं पडि णिवेइओ रुइविराइओ णाइ जामिणीए ॥१॥ मावेसहि भणेवि अइरत्तउ दिवसहु दिण्णु दीवु' सिहितत्तउ। णं चउपहरहिं वणु अहिकतिहि जायउ लोहियदु णहदंतिहि । णाई पवालकुंभु दिसणारिइ धरिवि मुक्कु दिक्करिगणियारिइ । पउलिवि तलिविदलिवि दलवट्टिवि जीवरासि जगभायणि घट्टिवि । दंडरहियजणलोहियलित्ती कालेडो विव दिसिर्वहि पित्ती। , उग्घाडिवि ससहरमुह णिद्धहि संमुहियहि तियसासामुद्धहि । णं सिंदूरकरंडु झसच्छिइ दाविउ लवणजलहिजललच्छिइ । मयरंदुल्लोलु व जगकमलहु णिउ वारण वरुणमुहकमलहु । गोमिणीइ हरिरइरसभरिउं पोमरार्यवत्तु व वीसरिउ । अत्थ मियउ जाइवि अवरासइ
रत्तु मित्तु णं गिलियउ वेसइ । ११. M सिहसिहहिं देविदु ण वि ण सहइ। १२. MT विसह । १३. MBPK जिणइंदह । २२. १. MBP दूवउ । २. MB पणवउ; P पणविओ। ३. MBP दहउ । ४. BPP मग्गइ मग्गइ । ५.
MBP धुउ । - २३. १. MBP दीउ । २. MBP कुंभ । ३. MBP मुक्क । ४. MBP मलिवि। ५. B कालिं दाविय ।
६. MB दिसवहि; P दिवसहि । ७. MBP भरियउ । ८. MBP पत्तु । ९. MBP वीसरियउ ।
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