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महापुराण
[१५.१७.१० जिह मउडुग्गयचूडामणिणा चिरयालि महायरेण फणिणा। तिह एवहिं मह वि समप्पियई पालहि खेयरणयरई पियई। घत्ता-जिणवरणंदणहो बलवंतहु रिद्धिसणाहहो ।
णमिविणमीसरेहिं पडिवण्ण सेव णरणाहहो ।।१७।।
१८
रायहु कंपावियतिहुयणहो पणवेप्पिणु गय सणिहेलणहो । ते बंधव सिरिधव पट्ठविवि रणधीरइं वइरइं णिट्ठविवि । संचल्लइ डोल्लइ धरणियलु उद्धरियसूलकरवालहलु । मरुचलियलुलियचलचिंधैबलु गुहदारि उदारि ण माइ बलु । णउ जंपइ कंपइ फणिणिवहु पहु वञ्चइ णञ्चइ तियसवहु । पउ गुप्पइ घिप्पइ आहरणु । परिघोलइ लोलइ पंगुरणु । अइमल्हइ मेल्लइ सद्दु करि रहु थक्कइ वंकइ कंछ हरि । तहु दाणे फेणे समिय रय चिक्खल्लँइ खोल्लइ खुत्त पय । घत्ता-बंदिण पढिएहिं जयणंदवड्डणिग्योसहिं ।।
गज्जइ गिरिविवरु वज्जतहिं पडहसहासहिं ॥१८॥
जणु जूरइ पूरइ मग्गु ण वि णरलिहियउ णिहियउ चंदु रवि । कोगिणियइ घणियइ मट्टियइ अंधारवियारविहट्टियइ। उज्जोयउ जायउ उज्जलउ
खंधारु वीरु धारियपुलउ । संकेमेण कमेण जि संचरइ सैरभरियउ सरियउ उत्तरइ । तहु कुहरहु कुहरहु णिग्गयउ केलासगिरीसहु लहु गयउ । सुरणियरहिं खयरहिं परियरिउ णिज्झरझरंतवारिहिं भरिउ । गंधव्वहिं भव्वहिं सेवियउ सिहिजालहिं चवलहिं तावियउ । तरुजालहिं णीलहिं छाइयउ कइबुक्कारेहिं णिणाइयउ । घत्ता-सो महिहरपवरु दीसइ गयणंगणि लग्गउ ।।
महिकामिणिहि मुयदंडु पदंसियसग्गउ ॥१९॥
जो अच्छरचित्तालिहियसिलु विसहरसिररयणारुणियबिलु । जो दरिसियसीहसिलिंबसुहु सदूलपसाहियरुंदगुहु।
जहिं दि?ई द्रुमसाहागयई किंणरवीसरियहारसयइं। १८. १. P कंपाविउ । २. MBP रणवीरई । ३. P°चिंघउलु । ४. MBT उयारि, P उयरि । ५. B वंचइ
णंचइ। ६. M खंध; BP कंधु । ७. MBP चिक्खिल्लइ । ८. MBP वद्ध । ९. P गिज्जइ। १९. १. MBP कागणियह मणिमइ । २. MB सकमेण । ३. MBP जलभरियउ। ४. MB णिण्णाइयउ । २०. १. MBP मुहु । २. MBP दीसहिं दुम ।
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