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________________ १० १० १५ ३३४ हरिसेविउ णं जिणु परमपरु । करिणमुसलणिभिण्णतणु सुरदाणवरमणीप्राणपिङ Jain Education International महापुराण णं को वि महाभडु रइयरणु । णं णिवजससासणखंभु थिउ । घत्ता—तहु महिहरउ तडु पन्छाइड चउहुं मि पासहिं । रलिक्खिरहिं गयपत्थिवणामसहासहि ||५|| क्खहु विण लब्भइ यत्ति जहिं मई जेहा पत्थव को गणइ परमेस महायणु जेण गउ पर फेडवि जिह घेप्पइ पुहइ ता बालमराललीलगइणा राएं राहु ओहारियउ करकागणिरेहादावियउ रिसहहु रइरमणखयंकर हो ६ मोक्खु व गिरिंदु मुणिगण महिउ । कामु लिहिज्जइ महु तणउ । tes वसुमधुत्तियइ । मोहु मुज्झइ तो वि मइ । जो हु पoas मुवि धर । हरं विडिउ सिरिपुण्णालियइ । मयमइरइ मत्ती मुच्छ गय । अहिसिंचिय मंगलघडसयहिं । जा छत्ते छाइय णउ णियइ । अंकुससंग किम वहइ । लव गणु पासि सरहो । आसतंपुरिस रावणिहि । वारिहि करिणीरय पीलु जिह | हुं अच्छइ । समउ ण गच्छइ ||६|| हिंदीस तहिं अक्खरस हिउ चितइ भरहा हिउ बहुगुणउ अण्णा रायहिं भुत्तियइ वोलाविय के के उ णिवइ tors परमेसरु एक्कु पर बहुणरवइकरयलला लियइ सत्तंगरेज्जभारेण हय धारागलंत लीलावयहिं जा विज्जिय चलघमरहिं जियइ असिवाणियकक्कसत्तु महइ चवलत्तणु कुलधयवर्डेवर हो सिक्खियउ जाइ तहि गोमिणिहि विडंति महंत विझत्ति किह घत्ता-ताएं भुत्त चिरु पुणु पुत्ते सहुं वसुमइ झेलिय जगि केण वि ७ किं णाउं लिहिज्जइ एत्थु तहिं । जे जे गय ते पुरोहु भणइ । सो पंथु जयमि ण केण केउ । तिह णामु वि फेडिज्जइ णिवइ । वीलाल मेलिणेण वि पइणा । हुका व उत्तारियउ । णियैणाउं गिरिंदि चडावियउ । हउं पुत्तु पढमैं तित्थंकर हो । ७. MBP पाणपिउ । ६. १. MBP इय । २. MB रज्जहारेण । ३. MBP असिपाणियं । ४. MBP वडधरहो । ५. MBP परहो । ६. MF आसत्तु पुरिसु; B आसत्तपुरिसु । ७ MBPT झिदुलिय । ७. १. P किउ । २. MB "मलिणाणण वि पइणा; P मलिणाणणपणा । ४. MB पदमु । [ १५.४. १ For Private & Personal Use Only ३. MBP यिणामु । www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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