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महापुराण
[१५.२.४ करिसालाणडसालाहरई उब्भियई पउरसालाहरई। हरिवरमंदुरउ समुंडियउ णं घडदासीउ सुमुंडियउ। ठवियइं मणिमंडवियासयई अवराई मि दिव्वइं आसेयई। दुव्वारवइरिमयपहरणई
अहिवासिवि भूसिवि पहरणई। दक्खालियसंसहररयणियहि पोसहु पडिवजिवि रयणियहि । कुससयणि पसुत्तउ सई भरहु उग्गमिउ दिणाहिवु णहि भरहु । करि धरिउ सरासणु राणएण बहु विहरिउ मंडलराणएण । आरुहिवि रहँग्गि ण संकियउ वइसाहठाणु सई संकियउ । जो लोहवंतु परमग्गणउ
सो गुणि संणिहियउ मग्गणउ । किं अच्छइ णवर उद्घ गयउ हिमवंतकुमारहु णं गयउ। घत्ता-पडिउ संपंगणए उप्पुंखु बाणु अवलोइउ ।।
चिंतिउ तेण मणे को एहउ काले चोइउ ॥२॥
किं पाणि पसारिउ फणिमणिहे तडयडिहे णहि सोदामणिहे । दीहरजालामालाजलिउ
पलयाणलु केण पेडिक्खलिउ । केसरिकेसरु उल्लूरियर
कालोणिलु केण वियारियउ । किउ केण गरुडपक्खाहरणु भणु केण णिसुंभिउ जमकरणु । दलवट्टिउ माणु पुरंदरहो किं सिहरु पलोट्टिउ मंदरहो। णियहत्थें णिम्मथिउ जलहि पडिकूलिउ केण हवंतु विहि । दिट्ठीविसवयणु णिरिक्खियउ के हालाहलु विसु भक्खियउ । जगि केण भाणु णित्तेइयउ महु केण रोसु उपाइयउ । को पारु पराइउ णहयलहो
को सुपहुत्तउ णियमुयबलहो । कि ण मरइ करवालेण हउ
ण वियाणहूं किं सो वज्जमउ । सरु मझु वि केण विसज्जियउ। खंयडिंडमु कासु पवजियउ । घत्ता-जेण विमुक्कु सरु अइदीहु समाणु फणिदहो ।
सो महु मरइ रणे जइ पइसइ सरणु सुरिंदहो ॥३॥ २. १. P reads after this : मिहुणइं रमंति रत्तासयई, अवराई मि दिव्वई आसयई, णियपहणिज्जय
देवासयहिं । २. MB read after this : मिहुणइं रमंति रत्तासयइं, णियपहणिज्जियदेवासयई। ३. BP ससिहररयणियहि । ४. P रहंगि । ५. MBP उद्धगयउ। ६. M पपंगणए; B पसंगणए। ७. MB उप्पंखु । १. MBPK पडिखलिउ। २. MBP कालाणलु । ३. M णिमत्थिउ; BP णिम्मत्थिउ । ४.P हणंतु । ५. MBP किं । ६. MBP खयडिडिमु । ७. M विमुक्क सरु ।
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