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________________ १० १० १० २५४ तिज्जइ णरइ सत्त चोत्थइ दह छट्ठइ पुणु बावीस ण रहियई घत्ता - कंदंत कणंत महिहि घुलंत सुहंतरिय || जीवंत हासणार तिलु तिलु कप्परिय ||१९|| महापुराण अक्खमि सुर दहवसुपंचविह वि हरयणहि धरित्तिहि असुरवरहं चट्ठि समक्खई बाहत्तर लक्खाई सुवण्णहं दीव समुहणियत डिणामहं एकेक लक्खाई छहत्तर लक्ख णवइ लेसाहिय धीरहं कोड सत्तदुत्तर लक्खइं भावणभवणई एम पउत्तई भूयरक्खसावासविसेसई अवराई मि विमलसिरिहारइ वेंतेरणयरई "अयरमणीयइं ते जियंति अहमेण अरम्महि महि 'उत्तिमुतं वंसहि जं वंसहि उत्तिमु तं सेलहि जं सेलहि उत्तिमुणिहिटूठउ जं अंजणाहि परमु पवियप्पिउ जंजि अरिहि किर परमाउसु जं पूरउ मघविहि दुहतवियहि विकिरिया सरीरविण्णासई होति' अहोहो रुंदई विवरई होंति अहोहो रणई' दुवेक्खै घत्ता - जुज्झतह ताहं पहरणकोडिहिं णिद्दलिय ॥ तणुलव लग्गंति सूँयलवा इव संमिलिय ||२०|| सायराई पंचमि सत्तारह । सत्तमि तीस तिअहियई कहियई । Jain Education International २० फुड दह वरिससहासई घम्महि । आउ जहण दलिय सुहं स हि । आउ जहण्णउं रउरेवरोलहि । अंजणाहि तं किर णिक्किट्ठड। तं जि अरिट्ठहि अहमु वियैप्पिउ । तं मघवहि देसि अचिराउसु । तं आणु मरणु माघवियहि । होति अहोहो दीहाउस्सई । होंति अहोहो मंदइ तिमिरइ' । होंति अहोहो तिव्व दुक्खई । २१ सोलह दु णव पंचविह पुणरवि । विवरतरि बहुरइरसथत्तिहि । णायघरहं चउरासीलक्खई । भवणहं भूरिभासमा इण्णहं । आसाणलकुमारवरधामहं । अक्खइ एम मयणमयकेसरि । आवासाहं समीरकुमारहं । पिंडीकयई होंति पञ्चक्खई । दह सोलह सहस निरुत्तई । Paragraघोसई । वणगयणयलजलहिर्स रतीरइ | होति गणंतह संखाईयां | [ ११. १९.७ २०. १. MBP उत्तमु and also elsewhere in this kadavaka २ P°लोलहि । ३. MBP पयंपिउ । ४. Bomits this foot ५. Bomits this line. ६. MBP दुपेक्खई । ७. P पारलवा । ४. M बहत्तर । ५. K ९. MBP वितरं । १०. २१. १. MBP धरत्तिहि । २ MBP असुरवरई । ३. MBP भाइणहं । चोद्दह । ६. K णिउत्तरं । ७. MB परिमलं । ८. MBP सरितीरइ । MBP अई; K अर्थ but eorrects it to अई । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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