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महापुराण
[९.२४.९
संझा इव सुवण्णरुइरोइय पुणरवि च उदुवा पुणु दिसि दिसि दह धय सुरसंथुय थिय गयणयललग्ग पवणुधुय । मालावत्थमोरकमलंकहिं
हंसगरुडहरिविसकरिचक्कहिं । भूसियपडिधयपहपइरिकहु अट्ठोत्तरु सउ सउ एक्ककहु । घत्ता-अण्णहु कासु तिलोए सोहइ णहि घोलंतउ ।।
कुसुममालधउ तासु कुसुमाउहु जे जित्तउ ॥२४॥
२५
हेला-कहइ व किंकिणीण घोसेण घोलमाणो ।
अहमिह सकुसुमो वि ण हु होमि कुसुमबाणो ॥१॥ देव देव मा मह रूसेन्जसु . कुसुमकरालहु करुण करेजसु । जो अंबरु तवचरणि ण भावइ अंबरचिंधु तासु ध्रुवु आवइ । जो सिहिवेसु कया वि ण इच्छइ सिहिजयंति सो अवसे पेच्छइ। जो णिवकमलहि होइ परंमुहु तहु कमलद्धउ णिच्छउ संमुहु । परमहंसु जो सञ्चउ बुज्झइ हंसु तासु धइ केम विरुज्झइ। अमयबंभपउ जो जइ दावइ विणयासुयवडाय सो पावइ । सीहेणेव जेण वणु सेविउ
सीहचिंधु तहु केण ण भाविउ । जेण ण पसु घाइउ णियमग्गइ तासु जि वसहु थाइ चिंधग्गइ। पसुवइ सो जि भडारउ वुच्चइ दुट्ट अवरु किं अप्पउ सुच्चइ । जो पंचिंदिय दुइम पीलइ पीलु तासु धयवडु अणुसीलइ । मोहचक्कु जे चप्पिवि चूरिउ चक्कु चिंधु तहु होइ अवारिउ । घत्ता-पुणु पायारु विचित्तु चउदुवार सुपसत्थ ॥
जहिं थिय णायकुमार मरगयदंडविहत्थ ॥२५॥
२६ हेला-पुणु वि धूवदोहडी पवरणट्टसाला ।
अहिणवभावसोहिया ताउ गवरसाला ॥१।। उठवसिरंभतिलोत्तिमणामउ | जहिं णडंति तियसाहिवरामउ । पुणु दीहर दहविह कप्पद्रुम दरिसियभोयसार णिरु णिरुवम । पुणु वेइय कलेहोयहु केरी पियकता इव सुहइं जणेरी। पुणु वि दुवारइं पुण्णपवित्तई दरिसावियबहुमंगलवत्तई। णिचु जि कीलियसुरसंघायहँ ___ भंभाभेरिपडहणिणायहं । पुणु पओलि लंधिवि पासायह पंति हारतारासुच्छायहं । णितोरणमालउ
पुणु फलिहमउ सालु सुविसालउ । २. MBP राइउ । ३. MBP वेइउ । २५. १. MBP धुउ । २. MBP चक्कचिंधु । २६. १. MBP पुणरवि धूयदोउडी। २. B कलहोइय । ३. MBP णिण्णायहं । ४. MBP पुणु तोरण ।
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