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महापुराण उज्जयवंकहिययमुणियत्थउ देउ पराइउ णाणु चउत्थउ। पंचवीसवयमायउ भावइ । तिहिं गुत्तिहिं अप्पाणउं गोवइ । इरियादाणु किं पि णिक्खेवणु करइ कहिं मि कयसुकयालोयणु । रोसु लोहु भउ हासु पणासइ संग विवजइ सुत्तु जि भासइ । मिउ जोग्गउ अणुणायउ गेण्हइ भत्ति पाणि संतोसु जि मण्णइ । णारीकहदंसणसंसग्गहु
करइ णिवित्ति पु-वरइरंगहु । भुंजइ कहिं मि सुणिवियडिल्लउ बंभचेरु थिरु धरइ गुणिल्लउ । घत्ता-इंदियखलहं मिलंतु परमजोइ मेलावइ ।
खुभंतउ मणडिंभु रिसि णाणे खेलावइ ।।१२।।
१३
हेला हो हे चित्तडिंभ मा रमसु णारिरूवे ।
रेभिऊणं दड त्ति पडिहीसि मोहकूवे ॥१॥ जीयोजीयवत्थुभेयालइ
करणपोसणत्थि विरसालइ। संजमबायवुड्डजमैसिहि सिहु णिद्धंधंसु णित्तामसु णिप्पिहु । दिहिखमझाणजोयकयसंगहु वीसदुसंखपरीसहभरसहु । दसण णाण चरिय तव वीरिय आयार वि जे पंच समीरिय । तेहिं भडारउ अणुदिणु वड्ढइ हिययेहु तिणि वि सल्लई कड्डइ । अणसण वुत्तिसंख ओमोयरु रसपरिचाउ कालजोयायरु । इय वाहिरतवू चरइ सुदारुणु
अंतरंगसुद्धिहि सो कारणु । वेजावच्चि विणइ सज्झायइ तणुविसग्गि पच्छित्तणिओयइ । अब्भंतरतवि अप्पउ जोयेइ धम्मझाणु चउविहु णिज्झायइ । आणाविचउ णामणिग्गंथउ पुणु अवायविचयं पि महत्थउ । अवरु विवायविचउ वित्थारइ थिरु संठाणविचउ अवहारइ । घत्ता-इय विहरंतु धरग्गि सिद्धिवरंगणरत्तउ ॥
वरिससहासें णाहु पुरिमतालु संपत्तउ ।।१५।।
हेला-ता दिलु लवंगलवलीलयाहरालं ।
अलियालं पियालमालूरसायसालं ॥१॥ वणु विडंगणेवेत्थहिं छइयउ पियमाणुसु व सरस कंटइयउ । णिच्चोसोयउ कंचणवंतउ
बंधुपुत्तजीवेहिं महंतउ । २. MBP संगु । ३. B मेल्लावइ । ४. BP खेल्लावइ । १३. १. MBB भमिऊणं । २. MBP जीवाजीव । ३. MBP "जमसिहिं सहु। ४. P णिद्धंधस्सु; T
णिद्धधंसु and gloss निष्परिग्रहः । ५. P हिययहि । ६. P अणसणु । ७. MBP वित्तिसंख ओमोयरु ।
८. MP तव । ९. MBP जोवइ । १०. B अवायविरयं । १४. १. B तो । २. M विडंगणे कथहिं; B विणंगणेवच्छहि । ३. MBP माणुसु । ४. P सरसु । ५. MB
णिच्चासोयं ।
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