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महापुराण
[७.१२.७ सेयसुकमंत्थिक्कदुगंधउ १°छिरतुंदाहिजालसंरुद्धउ । वोक्कयंतकिमिउलमलपोट्टलु वियलियरसवसवीस?" विट्टलु । अब्भंतरि किर केण पलोइउ वाहिरि चम्मपडलपच्छाइट। णिञ्चमुत्तलालाजलथिप्पिरु रोइ पूइ अधुउ संताविरु । सेंभपित्तमारुयदोसायरु
भूयगामदेहिहि देहु जि घरु । रमणीरमणरायरहसुच्छवु असुइ जि भक्खइ असुइसमुन्भवु । घत्ता-करिमयरहिं माणिइ गंगावाणिइ हाणिउ पहाणिउ मुज्झइ ।। . मयकामें कोहें मायामोहें मइलिउ देहु ण सुज्झइ ॥१२।।
खंडयं-दुविहतवम्मि सुलीणयं जइ करेह अप्पाणयं ।
असुइमिणं मणुयत्तयं ता हो होइ पवित्तयं ॥१॥ पंचिंदियसुहि मणु चोयंतहु तहु आसवइ कम्मु अतवंतहु । जाणावरणिउ पंचपयारउ दोवियपडपंगुरणवियारउ । णवविहदसणु गुणविणिवारउ तं णिजियणिसिद्धिपडिहारउ । दुविहु जि वेयणीउ गयसयणु व अमहु समहु असिधारालिहणु व । मोहणीउ मइरा इव मोहइ अट्ठावीसभेउ जिणु ईहइ। चउविहु चउगइगामिहिं ढुक्कइ आउसु हडि व णिरुभिवि थक्कइ । दोचालीसणामु णामंकउ
चित्तवण्णपरिणामासंकउ । दोविहु मइलसमुज्जललीलउ गोत्तु कुलालभाणभावालउ । अंतराउ चउएक्कविहायउ
लग्गइ कारिहिं वारियदायउ । पयडिट्ठिदिअणुभागपएसहिं बज्झइ चप्पिवि वंधविसेसहिं । घत्ता-गुणवंतु अणाइउ सुहुमु विवेइउ तिगइ दुअंगणिबद्धउ ।।
जिउ कत्तउ भोत्तउ भवतणुमेतउ उड्डेगामि संसिद्धउ ॥१३॥
खंडयं-एंतहु पावहु णिब्भरं जे विरयंति ण संवरं ॥
ताणं दुक्खवक्कडी पडिही सीसे णं तडी ॥१॥ रुज्झइ चित्तु झाणवित्थारें फासविलास धरणिसंथारें। रसु पसुपिंडग्गहणायारे
दिट्ठि ण घेप्पइ कहिं मि वियारें। ९. B°मथिक्क। १०. P थिर'; K छिर° but corrects it to थिर। ११. MBP वीउजि and gloss in P बीभत्सं अपवित्रम् । १२. M रमणीरमणु रायरहसुब्भउ; B°रहसुच्छउ;
P रहसूब्भउ but gloss उत्सवः । १३. १. MBP णाणावरणउ । २. T दंसियं । ३. MBP भेय । ४. M° अणुभाय । ५. M
बंधवसेसहिं । ६. MBP उद्धगामि । १४. १. P ए लहु and gloss ए आगमे प्रसिद्धः, तहु पावहु तस्य पापस्य । २. P°दुवक्कडी । ३. MBP
°विलासु । ४. MB रसवसु; P रस पसु ।
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