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संधि ७
कयतिहुयणसेवें चिंतिउ देवें जगि धुउ कि पि ण दीसइ। जिह दावियणवरस गय णीलंजस तिह अवरु वि जाएसइ ॥१॥
खंडेयं-इह संसारदारुणे बहुसरीरसंघारणे ।
___वसिऊणं दो वासरा के के ण गया णरवरा ॥१॥ पुणु परमेसरु सुसमु पयासइ धणु सुरधणु व खणद्धे णासइ । हय गय रह भड धवलइं छत्तई सासयाई णउ पुत्तकलत्तइं। जंपाणई जाणई धयचमरइं। रविउग्गमणे जंति णं तिमिरई। लच्छि विमल कमलालयवासिणि णवजलहरचल बुहउवहासिणि । तणु लायण्णु वण्णु खणि खिज्जइ कालालिं मयरंदु व पिज्जइ । वियलइ जोव्वणु णं करयलजलु णिवडइ माणुसु णं पिक्कउ फलु । तृयहि लवणु जसु उत्तारिजइ सो पुणरवि तणि उत्तारिजइ । जो महिवइ महिवइहि णविज्जइ सो मुउ घरदारेण ण णिज्जइ। पत्ता-किर जित्तउ परबलु मुत्तउ महियलु पच्छइ तो वि मरिज्जइ॥
इये जाणिवि अधुंउ अवलंबिवि तउ णिज्जणि वणि णिवसिज्जइ ॥१॥
खंडयं-वइरिरायदप्पहरणं किं जोयइ मुयपहरणं।
___मण्णइ अप्पाणं घणं सरणविरहियं जयमिणं ॥१॥ जइ विधरंति वीर णर किंणर अरुण वरुण सपवण वइसाणर ।
गरुड जक्ख रक्खस विज्जाहर भय पिसाय णाय ससि दिणयर। MBP have, at the commencement of this samdi, the following stanza ;
हंहो भद्र प्रचण्डावनिपतिभवने त्यागसंख्यानकर्ता कोऽयं श्यामः प्रधानः प्रवरकरिकराकारबाहुः प्रसन्नः । धन्यः प्रालेयपिण्डोपमधवलयशोधौतधात्रीतलान्तः
ख्यातो बन्धुः कवीनां भरत इति कथं पान्थ जानासि नो त्वम् । MB read हंहे for हहो; प्रचण्डाधनि for प्रचण्डावनि; and °संख्यात° for °संख्यान । GK
do not give it. १. १. M reads खंडियं throughout। २. T ससमु but adds सुसमु वा शोभनोपशमयुक्तः ।
३. P खणद्धं । ४. MBP तियहिं । ५. B इउ । ६. B अधव: P अद्धउ । ७. MBP अवलंबियभुउ but gloss in P तपो गृहीत्वा ।
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