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[३.२.६
महापुराण तणुतेउज्जोइयअंबर
घोलंतविचित्तवरंबरउ । णयसत्तभंगिविहिरसणियउ मिच्छोमयहेउणिरसणियउ । णिरु सूहवदाणवारिरयउ
णं भमरिउ दाणवारिरयउ । पत्ता-एयउ अण्णाउ सुरकण्णाउ धरिवि णिकामिणिवेसु ।।
आयोउ परेण भत्तिभरेण सिरिमरुएविहि पासु ॥२॥
३
परमेसरि सुरवरलोयचुयो कोमलमुणालवेल्लहलमुया। दीसइ सुरणारिहिं अजसुया णं विहिविण्णाणसमत्तिहुया। सव्वंगावयवसुलक्खणिया फणिसुरणरमणमुसुमूरणिया। वंदारयवंदियपायजुया __ अइललियहिं थोत्तसएहिं थुया। अवो जय जय जगगुरुजणणि जय थणयलविलुलियहारमणि । जय कम्मकाणणाणलअरणि जय धम्मविडवसंभवधरणि । पई दिट्ठइ णिहँइ पावमलु संपज्जइ संचिंतिउ सयलु । पई लद्धउं महिलाजम्मफलु तुह कुच्छिहि होसइ जिणधवलु । घत्ता-णिरु सरसु णडंतु पयहिं पडंतु विरइयपंजलिहत्थु ।।
संपाइय एव इच्छइ सेव अमरविलासिणिसत्थु ॥३॥
क वि अलयतिलय देविहि करइ कवि आदसणु अग्गइ धरइ। क वि अप्पइ वररयणाहरणु क वि लिप्पइ कुंकुमेण चरणु । क वि णच्चइ गायइ महुरसरु कवि पारंभइ विणोउ अवरु । क वि परिरक्खइ णिसियासिकरी कवि वारि परिट्रिय दंडधरी । अक्खाणउं का वि किं पि कहइ दिण्णउं कर्णइल्लु का वि वहइ। कवि वारवार विणएं णवइ कवि सुरसरिसरसलिलहिं हवइ । कवि मालउ चेलिउ उज्जलउ ढोयेइ सँवलहणु सुपरिमलउ । छम्मासु जाम संजणियदिहि पयडंतु समीहिय सोक्खणिहि । णिवप्रंगणंति णिहि णिहियधणु वुट्ठउ रय णिहिं वइसवणु घणु । घत्ता-हंसि व सरपोमि रम्मि सुहम्मि उरविलुलियहारावलि ॥
सोवंति समग्गि सयणयलग्गि सइ पेच्छइ सिविणावलि ॥४॥ ५. K मिच्छायम'; P मिच्छामय but gloss मिथ्यागम । ६. MBP आइयउ । ३. १. MBPथुय । २. M विहिअण्णाणं । ३. P णट्ठइ। ४. MBP विरइअंजलि । ५. MBP
संपाइउ । ६. MBP इच्छियसेव ।। ४. १. P कणयल्ल । २. P चेलउ । ३. M ढोइय। ४. MBP समलहण । ५. MBP पंगणंति ।
६. MB वइसवणघण । ७. M हंसियवरपोभि: BP हंसि व वरपोमि । ८. MB पेच्छिवि । ९. MBP सुइणावलि ।
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