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महापुराण
[२. २०.६ दहिकुट्टिमयलि दइएं आणिउ कलरावेण हंसु परियाणिउ । तहिं जि पडीवउं जहिं सियणिवसणु ठविउ ण पेच्छइ अइभोलउ जणु । फलिहसिलालयमज्झि णिविट्ठउ पिहियकवाडु वि वहुवरु दिट्ठउ । पोमरायमंडवि आसीणी । जेत्थु का वि हरिणच्छि पहाणी। घुसिणपिंडु ण णियंति विसूरइ जहि सोहाइ ण सग्गु वि पूरइ। चंदणचिक्खिल्लें पहुँ चिडुइ जहिं कप्पूरधूलि णहि उड्डुइ । घत्ता–ण कलागमु अक्खरु णेय गुरु णउ दासत्तणु संविहिउ ।।
वइसवणे एकेक्कु जि मिहुणु जहिं आणिवि माणिवि णिहिउ ॥२०॥
२१ मंदिरि मंदिर सहसा भरियइं . तोरणाइं रयणहिं विप्फुरियई। गिज्जत मंगलसंघाएं
देवदिण्णपडुपडहणिणाएं । घरसंचारियकलस वि दिट्ठा सरयब्भेसु वै चंद पइट्ठा। णिञ्चुप्पाइयसुरयणहरिसहि संमजियदप्पणयलसरिसहि । विहतारावलिदिणयरपंगण . दीसइ भूमिहि सयलु णहंगणु । गुरुअच्चासणभयवसणडियउ णं सोहइ पायालइ पडियउ । इहु सो दिट्ठउ इटठु महारउ इय णं मण्णिवि णयणपियारउ । भवणसिहरचडिएं खे लंबिउ जहिं णवजलहरु मोरें चुंबिउ । णउ चोरउलु विरोहि ण राउलु । सूलभिण्णु णउ दीसइ देउलु । बंभणु वणिवरु ण हलु ण हालिउ णउ पासंडिउ को वि कालिउ । धम्मु ण धणुहुँ ण जिणेवइभासिउ पसुवह वाहिण वेएं घोसिउ । वेस ण कत्थइ वइसियजुत्ती अजव सव्व णारि कुलउत्ती। जहिं ण महन्वय पंचाणुव्वय कुच्छियकारिणि णउ कारय पय । धत्ता-सामण्णई सयलई माणुसई जहिं एक्कु वि सुविसेसिउ ॥
सियपुप्फयंतु सो पाहिणिउ जो भरहेण विहूसिउ ॥२१॥
इय महापुराणे तिसट्टिमहापुरिसगुणालंकारे महाकइपुप्फयंतविरइए महामव्वमरहाणु
मपिणए महाकव्वे उज्झाणयरीवण्णणं णाम दुइजो परिच्छेओ समत्तो ॥२॥
॥ संधि ॥२॥
४. M फलिहसिलायलमज्झि; BP सिलायलि मज्झि । ५. MBP पउ but gloss in P पन्थाः । २१. १. MBP°संचारिम । २. MBK य । ३. विरोहु । ४. P कपालिउ । ५. MBP जिणवर । ६. M
पसुवह वहणु ण; B पसुवहु वहणु ण; P पसु अहवाहण । ७. MBP णारि सव्व । ८. Kणाहिणिव ।
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