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महापुराण
[२.१८.५ वडपारोहइ हिंदोलंतिहिं जोइउ जक्खिहिं दरपहसंतिहिं । जहिं कई अइपहसणरसधारउ सुइ णियदि ट्ठि घिवइ सवियारउ । रत्त उ सारसियहि जहिं सारसु को वि परिहिउ अहिणवु सारसु । सहइ तमालंधारयसारिउ
जहिं कलु कोइलु लवइ णिरारिउ । पवरंबयकलियहि ढोइयकरु महिलहि कोण होइ चाडुययरु । जहि भाविणि ण करइ परपइरइ बीउ धरित्तिहि को उँण पइरइ । अट्ठारहवरसासविहत्तई
जहिं सयमेव सुपक्कई छेत्तंई । घत्ता-जहिं धण्णई कणभरपणा मियइं परिभमंति सच्छंद पसु ।
वणसेरिहसिंगपहारचुउ महिसिहि पिज्जइ उच्छुरसु ॥१८॥
छुडु छुडु भोयभूमि जहिं वित्ती रिद्धिसमिद्ध विसुद्ध धरित्ती। चिंतिउ चिंतिउ देति ण थक्कइ पुत्वब्भासु ण मेल्लहुं सक्कइ । जहिं थलि थलकमलोवरि सुप्पइ पइ पइ पैउमहु पंके लिप्पइ । दारसु णरेहिं चक्खिज्जेइ फलु अउव्वु काइं मि भक्खिजई। कुवलयधरणिउ णं णिवईहउ जहिं परिहाउ वहति पईहउ । णं भविस्सजिणजम्मोयरियउ ण्हवणारंभहु णाणासरियउ । बहुमाणिक्कमऊहर्पहावहिं। णं गयणंगणु सुरवइचावहिं । असियसियारुणवण्णवियारहिं जं सोहइ सत्तहिं पायारहिं । घत्ता-जं दियहि दिवायरकंत रविकिरणहिं सिहिभावहु गयउ ।
तं णीवइ णिसि ससियरपुसियस सिमणिजलधाराहयउ ॥१९।।
२० मरगयकयधरि पक्खं विहूसिउ जहिं चंचुइ लक्खिजइ पूसउ । इंदणीलघरि णहविप्फुरणे विमलें मोत्तियदामाहरणे। जाणिजइ सामा पहसंती णाहें णवकुंदुजलदंती। कणयरइयमंदिरि वियरंती
अवेरविसंझाराउ वहंती। करकंकणु करैफरिसें जाणइ णेउरु सहेण जि अहिणाणइ । ४. BP कइवइ पहसणं । ५. M को ण। ६. MBP अहिणव । ७. MBP कलु । ८. P णउ ।
९. MBP खेत्तई । १०. MBP पणवियइं। १९. १. BP°समिद्धिविसुद्ध । २. P मेलहुँ। ३. MB पउमें पंकहु घिप्पइ; P पउमहु पंकेहिं घिप्पइ ।
४. MB दक्खारसु णरेहि जहिं पिज्जइ। ५. M adds after this line : मुहमहरत्ति मिरिय भक्खिज्जइ, and gloss मुखस्य मधुरत्वे सति; P reads in its place मुहमहलंति मिरिय भक्खिज्जइ, and after it reads किणरमिहुणिहि लयहरि गिज्जइ, फल अउव्वु काई मि भक्खिज्जइ। ६. MB add after this line किंणरमिहणिहिं लयहरि गिज्जइ, जिणु गाइज्जइ जिण
पूइज्जइ । ७. M जहि परिहा वहति पयईहउ । ८. MBP पहावें । ९. MBP°चावें । २०. १. B पंख । २. MBP अवरु वि । ३. MBP करफंसें।
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