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२. १०.१८]
हिन्दी अनुवाद की आयु कमलांक प्रमाण थी। उसके चरितका वर्णन बृहस्पति ही कर सकता है। नलिनके बराबर आयुवाले उसे कौन नहीं जानता। जिनेन्द्र भगवान्ने जिसके शरीरकी ऊंचाई सात सौ पचीस धनुष प्रमाण बतायी है, तथा जिसके कन्धे लक्ष्मीके कर-पल्लवोंसे लालित हैं ऐसा सीमंधर कुलकर उत्पन्न हुआ। सीमन्धरकी आयुसे पचीस वर्ष कम अर्थात् सात सौ धनुष प्रमाण ऊंचाईवाला भाग्यशाली पण्डितोंमें चतुर, उतने ही गुणोंसे मण्डित विमलवाहन कुलकर उत्पन्न हुआ, जिसका जीवन एक पद्म प्रमाण था। उसने मरकर स्वर्ग प्राप्त किया। जिसके शरीरकी ऊंचाई छह सौ पचहत्तर धनुष प्रमाण थी। कामिनियोंको विस्मयमें डालनेवाला सुप्रसिद्ध नाम चक्षूद्भव उत्पन्न हुआ। वह एक पद्म समय धरतीपर जीवित रहा। बादमें क्षयकालने उसे समाप्त कर दिया। फिर पूर्णेन्दुके समान मुखवाला और राजाओंमें सिंह यशस्वी नामका कुलकर हुआ।
पत्ता-मैं, पचास अधिक ऋतुओंकी संख्याके बराबर अर्थात् छह सौ पचास धनुष प्रमाण, उसके शरीरकी ऊँचाई गिनता हूँ और उनका जीवन-काल एक कुमुद प्रमाण बताता हूँ ॥९॥
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यशस्वीकी जितनी ऊंचाई बतायी गयी है, उसमें पचीस वर्ष कम, अर्थात् छह सौ पचीस धनुष प्रमाण शरीरवाला अभिवन्द राजा हुआ जो शक्तिमें हाथियोंको तौलता था। उसकी आयु एक कुमुदांगके बराबर निवद्ध थी। वह भी समय आनेपर अमरविमानमें चला गया। फिर सौ सहित पांच सौ अर्थात् छह सौ धनुष प्रमाण जिसका शरीर, जिनेन्द्रने बताया है, पल्यके १० हजार करोड़ वर्षके बराबर आयुवाला ऐसा विख्यात चन्द्राभ नामका राजा हुआ। उसके बाद समय बीतनेपर कल्पवृक्षोंकी परम्परा नष्ट होनेपर, आर्यलोकका प्रधान मरुदेव नामका बहुज्ञानी राजा हुआ, जो पचहत्तर सहित पांच सौ अर्थात् पाँच सौ पचहत्तर धनुष प्रमाण शरीरवाला था, वह नौ अंग प्रमाण जीवित रहकर देवशरीर प्राप्त कर स्वर्गलोक चला गया, फिर जिसकी आयु एक पूर्व प्रमाण, जो प्रजाका पालन करना जानता था, ऐसा प्रसेनजित् नामका मनु हुआ। उसका शरीर सवा पांच सौ धनुष प्रमाण ऊंचा था। पूर्वकोटि आयुसे परिपूर्ण जो शुद्ध बुद्धि और सद्भावसे आपूरित था। तपे हुए सोनेके रंगके समान जो मानो त्रिभुवनरूपी भवनका आधार स्तम्भ था। अपने भारी वंशका उद्धार करनेवाला, श्रेष्ठ मेखलासे युक्त, कल्पवृक्षके अमृतफलोंको दिखानेवाला, आभूषण रत्नोंकी किरणोंसे तममलको नष्ट करनेवाला, अपने शरीरके तेजसे आकाशतलको आलोकित करनेवाला, मुकुटरूपी शिखरसे और हाराबलिके मिर्झरसे युक्त जो ऐसा लगता था मानो सुरवरोंके सेवायोग्य धराको धारण करनेवाला मन्दराचल ही अवतरित हुआ हो, या मानो आकाशसे इन्द्रदेव गिर पड़ा हो ।
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