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महापुराण
[२. ३. २५
जडदमिर
मणभमिर-1 घणतिमिर- हरमिहिर। जय सुमुह
जय समह। जय सुमण
जये गयणचुयसुमण- पहँगमण। जर्य चलियचमरिरुह
जय ललियसुरकुरुह । जय गहिरमहुरझुणि
जय चरमपरममुणि । जय विसयविसिगरुल जयधवल जसधवल । जय रसियजसवडह
गयगरुह जय अरुह । घत्ता-सीहासणछत्तालंकरिय उत्तारेप्पिणु चउगइहे ॥
"जय मयमयणिवहमयाहिवइ मई जसु पंचमगइहे ॥३॥
इय वंदिवि जिणु पालियरट्ठउ एयारहमइ कोहि णिविउ । संभवंतभवभारभयंगउ
भूवइ भत्तिभारणवियंगउ । पुच्छइ महिवइ संजमधारा अक्खहि गोत्तमसामि भडारा। पावणासु चउवग्गाइण्ण
जेम महापुराणु अवइण्णउं । तं णिसुणिवि आघोसइ गणहरु वासारत्ति पत्ति णं जलहरु । सुणि सेणिय मयमोहविहीणहि अरहंतावलीहि वोलीणहि । णाइ णंतु भाविणिहि णिरुत्तउ एहउ वीरजिणिंदें वुत्तउ । पढमु समासमि कालु अणाइउ सो अणंतु जिगणाणे जोइउ । जगपरिणामहु सो सहयारिउ अरसु अगंधु अरूउ अभारिउ । मुणइ को वि सम्मत्तवियक्खणु णिच्छयकालु पवत्तणलक्खणु । घत्ता-भो मुणिपयपंकयभमर णिव तच्चु ण कासु वि हउँ रहमि ॥
ववहारकालु परमेट्ठिमुहिं जिह णिसुणिउं तिह तुह कहमि ॥४॥
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अणुअंतरयरु समउ भणिजइ.. ऊसासु' वि आवलिहिं दु संखहिं सत्तहिं थोवएहिं लैवु भणियउं होति महामुणिचित्तावडियहि
आवलि तेहिं असंखहिं किन्जइ । सत्तूसासहिं थोवउ लेक्चहि। इह पियकारिणितणएं मुणियउं । सड्ढ़ जि अट्ठतीस लव घडियहि ।
६. MBP गयणयल । ७. B णहगमण। ८. B omits this line. ९. B omits this line.
१०. MB जय जय मयणिवह । ४. १. MBP वंदिय । २. MBP भवभाव; K भवभाव but corrects in to भवभार; T भवभाव 1 but explains it as संसारे परावर्ताः प्रचुराः । ३. MBP जिणणाहें। ५.१.M ओसासु । २. MBP लक्खहि । ३. MBP लउ.।
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