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हिन्दी अनुवाद नाट्यशालाओं, सुरों, नटों और विषधरोंके स्तोत्रों, कोलाहलों, विद्याधरोंके द्वारा उठायी गयी पुष्पमालाओं, भुवनतल आपूरित करनेवाले बजते हुए मंगलवाघों, सा रे ग म प ध नी स आदि स्वरोंके संघातों, तुम्बुरु और नारदके गीतविनोदों, उर्वशी और रम्भाके नृत्यभावों तथा बजती हुई वीणाओंके स्वरोंसे शोभित था । ऐसे समवसरणमें राजाने प्रवेश किया और सामने परमेश्वरको देखा।
पत्ता-सिंहासनके शिखरपर आसीन, पवित्र, लोगोंकी जन्मपीडाका हरण करनेवाले, विश्वरूपी कमलके लिए सूर्यके समान वीर जिनेन्द्रको राजाने स्तुति प्रारम्भ की ॥२॥
समस्त भुवनतलका मल दूर करनेवाले, आपकी जय हो। ऋषियोंके शरणस्वरूप श्रेष्ठ चरण तथा समता धारण करनेवाले, भवसे तारनेवाले, बुढ़ापा और मृत्युका हरण करनेवाले, यम, पवन और दनुका दमन करनेवाले, लक्ष्मीसे रमण करनेवाले, मुकुटतलके मणियोंके जलसे जिनके पवित्र चरणकमल धोये गये हैं ऐसे हे समस्त विधानमें कुशल, आपकी जय हो (मुनिधर्म और गृहस्थ धर्मकी रचनामें ) । न्यायरूपी मूसलसे प्रबलोंको आहत करनेवाले, शास्त्रोंसे सबल, द्विज, कपिल, शिव और सुगतके कुनयोंके पथको नष्ट करनेवाले, मदका नाश करनेवाले, स्वपर भावसे शून्य तथा दुःखसे रहित, मुनियोंसे पूज्य महामहनीय, दुग्धरस और विषके रसमें समानभाव रखनेवाले, कामदेवकी पहुंचसे परे, हे देव आपकी जय हो। पापरूपी सिंहके लिए अष्टापदके समान, पण्डितोंमें प्रवर, सुखके निवास, रतिका विलय करनेवाले, द्युतिके मण्डल, सूर्यको जीतनेवाले हे करुण, मापकी
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