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१.१८.१५. 1
हिन्दी अनुवाद
घत्ता - बृहस्पति जिनके चरणोंमें प्रणत हैं ऐसे हे त्रिभुवन गुरु और समस्त प्रजाका हित करनेवाले, आपकी जय हो । अपने समस्त रोगोंका नाश करनेवाले तथा भरतक्षेत्रके नियामक सूर्य और चन्द्रसे भी अधिक तेजवाले जिन, आपकी जय हो ॥१८॥
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इस प्रकार त्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारवाले महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित तथा महामन्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्यका सम्मति समागम नामका पहला परिच्छेद समाप्त हुआ || १ ||
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