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________________ ४८ : जैन पुराणकोश क्र० सं० ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. ܐ ܐ ܐ ५३. ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०. ६१. ६२. ६३. ६४. ६५. ६६. ६७. ܘ नाम जा . १. २. ३. भानुगति भानुप्रभ भानुवर्मा भास्कराभ भीम भीमप्रभ भीष्म मनोरम्य मनोवेग मयूरवान् मरीच महाबाहु महारथ मारण माली मृगारिदमन मेघ मेघध्वन मोहन रवि राक्षस लंकाशोक वज्रमध्य श्रीग्रीव श्रीमाली संध्यान संपरिकीर्ति सिंहजपान सिंहविक्रम सुग्रीव सुभीम सुमुख सुरारि क्रमांक नाम वाद्य सुब्यक्त हरित्रीय अम्लातक अलाबु अवनद्ध Jain Education International वाद्य सन्दर्भ पपु० ५.३९३ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९५ पपृ० ५.३८२ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३७८ पपु० ५.३९७ पपु० १२.१९६ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९६ प्रपु० ६.५२०-५६५ पपु० ५.३९४ पपु० ५३९४ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३७८ पपु० ५.३९७ पपु०५.१९५ पपु० ५१.३९१ पपू० १२.२१२ पपु० १२.१९७ पपु० ५.३८९ पपु० ६०.२ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३८९ पपु० ५.१४९ पपु० ५.३९२ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३९२ पपु० ५.३९० सन्बभ पपु० ५८.२७-२८ मपु० १२.२०३ पपु० २४.२०-२१ क्रमांक नाम वाच ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. क्र० सं० १. २. ३. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. आनक आनन्द भेरी आनन्द हट कम्ला EEEEEEEEEEEE काहल घण्टा पटह पणव भम्भा भेरी मर्दक मुरज मृदंग मेघघोषा लम्पाक वीणा शंख हक्का हुँकार हेतु जा अंकुर अंग अंगद अतीन्द्र अनघ रूि अमरप्रभ इन्द्रमत ऋक्षरज कपिनेतु किष्किन्ध खेचरानन्द वानर वंश अकारादि क्रम में इस वंश में निम्न राजा हुए हैं नाम राजा सन्दर्भ गगनानन्द गिरिनन्दन For Private & Personal Use Only सन्दर्भ मपु० ७.२४२ मपु० १६.१९७ मपु० २४.१२ पपु० ८४.१२ मपु० १७.११३ मपु० १३.१३ मपु० १२.२०९ मपु० १३. १७७ मपु० २३.६३ मपु० २३.६२ पपु० ५८.२७ मपु० १२.१३ पपु० ५८.२७ पपु० ६.३७९ मपु० १२.२०७ मपु० ३.१७४ मपु० ४४.९३ पपु० ५८.२७ मपु० १२.१९९-२०० मपु० १३.१३ पपु० ५८.२७ पपु० ५८.२७ पपु० ५८.२८ पपु० ६०.५-६ पपु० १०.१२ पपु० १०.१२ पपु० ६.२-५ पपु० ६०.५-६ पपु० ६.३५२ पपु० ६.१६०-२०० पपु० ६.१६१ पपु० ७.७७ पु० ६.१९८-२०० पपु० ६.३५२-३५८ पपु० ६.२०५-२०६ पपु० ६. २०५ पपु० ६.२०५-२०६ परिशिट www.jainelibrary.org
SR No.002719
Book TitleJain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Culture
File Size4 MB
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