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________________ परिशिष्ट जैन पुराणकोश : ४७ सन्दर्भ पर्व श्लोक संख्या क्रमांक नाम नाम पुराण नाम पुराण पाण्डव पु० ५६. पाण्डव पु० २०५ सन्दर्भ पर्व श्लोक संख्या क्रमांक नाम ८ १९९ ९७. कांचन २०० ९८. सध्वज सुभुज १००. अरज or राक्षस वंश इस वंश में अकारादि क्रम में निम्न राजा हुए हैं uTor m क्र.सं. नाम राजा अनिल अनुत्तर अमृतवेग अरिमर्दन अरिसंत्रास अहंद्भक्ति आदित्यगति ७०. ७१. ७२. सुदुःसह सुदर्शन चित्रसेन सेनानी दुःपराजय पराजित कुण्डशायो विशालाक्ष जय दृढहस्त सुहस्त वातवेग सुवर्चस् आदित्यकेतु बह्वाशो निबन्ध विप्रियोदि कवची रणशौण्ड कुण्डधार धनुर्घर उग्ररथ भोमरथ शूरबाहु अलोलुप अभय रौद्रकर्मा दृढरथ अनादृष्ट कुण्डभेदी विराजी दीर्घलोचन प्रथम प्रमाथी दीर्घालाप वीर्यवान् १०. ११. १२. १३. १५. सन्दर्भ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९३ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३८ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९५ पपु० ५.४०३ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९८ पपु० ५.४०३ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९३ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९६ पपु० ५.३९४ पपु० ५.३८८ पपु० ५.३९५ पपु० ५.३९८ पपु० ५.३९७ पपु० ५.३९४ इन्द्रजित् इन्द्रप्रभ उग्रश्री उद्धारक कीर्तिधवल गतप्रभ गृहक्षोभ धनप्रभ चकार चण्ड चन्द्रावर्त चामुण्ड चिन्तागति जितभास्कर त्रिजट द्विपवाह नक्षत्रदमन निर्वाणभक्ति पवि पूजार्ह प्रमोद बृहत्कांत बृहद्गति भानु २०. २७. ९१. ९२. दीर्घबाहु २९. ९४. . महावक्ष दृढवक्ष सुलक्षण कनक २०५ ३२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002719
Book TitleJain Purano ka Sanskrutik Aavdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Culture
File Size4 MB
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