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________________ kemomentencemen* । एकादशः सर्गः प्रथालंकारभूतोऽस्ति द्वीपो 'जम्बूद्रुमाङ्कितः। मध्यलोकस्य मध्यस्थो रसनानायको यथा ॥१॥ तस्य पूर्वविदेहेषु विषयः पुष्कलावती । प्रस्त्युत्तरतटे नद्याः सीतायाः समवस्थितः ॥२॥ प्रबुद्धजनसंकीर्णा तस्मिन्पू: पुण्डरीकिरणी । शारदो सरसीवोच्च सते पुण्डरीकिरणी ॥३॥ पुरःसरो विवा' तस्या भावी घनरथो जिन।। 'पुरः सरोजवक्त्रोऽभूत्त्रलोक्यकपतिः पतिः ॥४॥ मनोहराकृतिस्तस्य देवी नाम्ना मनोहरी । प्रासीदासादिताशेषकला कमललोचना ॥५॥ ताभ्यां प्राभूततश्च्युत्वा नाकावमितविक्रमा । पुत्रो मेघरयो नाम्ना जगत्प्रख्यातविक्रमः ॥६॥ विज्ञाततत्त्वमार्गस्य यस्य धैर्यमहोदधेः । 'विधातुविनयस्यासीद्वार्धक्यमिव शैशवम् ॥७॥ एकादश सर्ग अथानन्तर जम्बूवृक्ष से चिह्नित, मध्यलोक का अलंकारभूत जम्बूद्वीप है । यह जम्बूद्वीप खला के मध्यमणि के समान समस्त द्वीप समद्रों के मध्य में स्थित है ॥२॥ उसके पूर्व विदेह क्षेत्रों में सीता नदी के उत्तर तट पर स्थित पुष्कलावती देश है ॥२॥ उस देश में ज्ञानी जनों से परिपूर्ण पुण्डरीकिणी नगरी है जो कमलों से सहित शरद् ऋतु की सरसी के समान अत्यधिक सुशोभित होती है ।।३॥ वह धनरथ उस नगरी का स्वामी था जो ज्ञानीजनों में अग्रसर था, भावी तीर्थंकर था, त्रिलोकीनाथ था तथा कमल के समान मुख से युक्त था ॥४॥ जिसकी आकृति मनोहर थी, जिसने समस्त कलाएं प्राप्त की थीं तथा जिसके नेत्र कमल के समान थे ऐसी मनोहर नामकी उसकी रानी थी ॥५।। अमितविक्रम देव उस वेयक स्वर्ग से च्युत होकर उन दोनों के जगत्प्रसिद्ध पराक्रम का धारक मेघरथ नामका पुत्र हुआ ॥६॥ जिसने तत्त्वमार्ग को जान लिया था, जो धैर्य का महासागर तथा विनय का विधाता था ऐसे उस मेघरथ का शैशव-बाल्यकाल वद्धावस्था के समान था। १ जम्बूवृक्षोपलक्षितः २ मेखलामध्यमणिरिव ३ ज्ञानिजनकृतनिवासा ४ शरदिभवा शारदी शरदृतुसम्बन्धिनी ५ श्वेतारविन्दयुक्ता ६ ज्ञानिनाम् ७ पुण्डरीकिणीनगर्याः ८ विनयस्य विधातुः कर्तु: यस्य शैशवं वार्धक्यमिव बभूवेतिभावः स शिशुरपि वृद्ध इव विनयं करोति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002718
Book TitleShantinath Purana
Original Sutra AuthorAsag Mahakavi
AuthorHiralal Jain, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherLalchand Hirachand Doshi Solapur
Publication Year1977
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size20 MB
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