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स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा
[गा० १६९३। ८ प०, दं १३ ह १ अं २३ भा ५। ९ प०, दं १४ ह • अं १९ भा । १० ५०, दं १४ ह ३ अं १५ भा १ । ११ प०, दं १५ ह २ अं१२ भा .॥ तृतीयनरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः। १ प.. दं १७ ह १ अं १० भा. ३। २ ५०, दै १९ ह ., अं ९ भा । ३ ५०, दं २०, ह ३, अं८ भा०। ४ प०, दै २२ ह २ अं६ मा ३। ५५०, दं २४ ह १ अं५ भा । ६५०, दै २६ ह. अं४ भा० । ७ ५०, दं २७ ह ३ अं२ भा ३।८ प०, दं २९ ह २ अं१ भा । ९ प०, दं ३१ ह १ अं० भा०॥ चतुर्थनरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । १५०, दं ३५ ह २ अं२० भा ४ । २ ५०, दं ४० ह. अं १७ भा ३।३५०, दं ४४ ह २ अं १३ भा४।४ प०, दं ४९ ह. अं १० मा ३।५ प०,दं ५३ ह २ अं६ भाई।६ प०, दं ५८ ह. अं३ भा । ७५०, दं ६२ ह २ अं० भा० ॥ पञ्चमनरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । १ प०, दं ७५ ह. अं० भा० । २५०, दं ८७ है २ अं० भा० । ३ प०, १०० ह. अं० भा० । ४ प०,दं ११२ ह २ अं० भा०। ५५०,दं १२५ ह. अं. भा०॥ षष्टनरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः। १५०, द. १६६ ह २ अं १६ भा०।२ प०,दं २०८ ह १ अं८ भा०। ३ प०, दं २५० ह. अ. भा०॥ सप्तमे नरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । १५०, दं ५०० ह. अं० भा०॥ १६८॥
असुराणं पणवीसं सेसं-णव-भावणा य दह-दंडं ।
वितर-देवाण तहा जोइसिया सत्त-धणु-देहा ॥ १६९ ॥ [छाया-असुराणां पञ्चविंशतिः शेषाः नवभावनाः च दशदण्डाः । व्यन्तरदेवानां तथा ज्योतिष्काः सप्तधनुर्देहाः॥] असुरकुमाराणां प्रथमकुलानां देहोदयः पञ्चविंशतिधषि २५ । सेस-णव-भावणा, शेषनवभावनाश्च नवभवनवासिनो देवाः नवकुलमेदाः । नागकुमार १ विद्युत्कुमार २ सुपर्णकुमार ३ अग्निकुमार ४ वातकुमार ५ स्तनितकुमार ६ उदधिकुमार द्वीपकुमार ८ दिकुमारदेवाः ९ नवप्रकारा दशदण्डशरीरोत्सेधा भवन्ति १०। वितरदेवाण व्यन्तरदेवानां
पुरुष २ महोरग ३ गन्धर्व ४ यक्ष ५ राक्षस ६ भूत ७ पिशाचानाम् ८ अष्टप्रकाराणी तथा तेनैव है । सो दूसरे नरकके प्रत्येक पटलमें नीचे नीचे इतनी ऊंचाई बढ़ती गई है । तीसरे नरकके अन्तिम पटलमें शरीरकी ऊंचाई ३१ धनुष १ हाथमेंसे दूसरे नरकके अन्तिम पटलकी ऊंचाई १५ धनुष, २ हाथ बारह अंगुलको कम कर देनेसे १५ धनुष, २ हाथ, बारह अंगुल शेष रहते हैं । इसमें पटलोंकी संख्या ९ का भाग देनेसे १ धनुष, २ हाथ २२३ अंगुल हानि वृद्धिका प्रमाण आता है । सो तीसरे नरकके प्रत्येक पटलमें इतनी ऊंचाई नीचे नीचे बढ़ती जाती है। इसी तरह चौथे नरक के प्रत्येक पटलमें हानि वृद्धिका प्रमाण ४ धनुष, १ हाथ २०४ अंगुल है। पांचवे में १२ धनुष, २ हाथ है । और छठे में ४१ धनुष, २ हाथ, १६ अंगुल है । सातवें नरकमें तो एक ही पटल है अतः छठे नरकके अन्तिम पटलमें शरीरकी उँचाई २५० धनुषमें २५० की वृद्धि होनेसे सातवें नरककी ऊंचाई आजाती है । इस प्रकार प्रत्येक नरकके प्रत्येक पटलमें शरीरकी ऊंचाई जाननी चाहिये । जैसा कि ऊपर दिये नकशेसे स्पष्ट होता है ॥ १६८ ॥ अब देवोंके शरीरकी ऊंचाई बतलाते हैं । अर्थ-भवनवासियोंमें असुरकुमारोंके शरीरकी ऊंचाई पच्चीस धनुष है और शेष नौ कुमारोंकी दस धनुष है । तथा व्यन्तर देवोंके शरीरकी ऊंचाई भी दस धनुष है और ज्योतिषी देवोंके शरीरकी ऊंचाई सात धनुष है। भावार्थ-भवनवासियोंके प्रथम भेद असुरकुमारों के शरीरकी ऊंचाई पच्चीस धनुष है । और शेष नागकुमार, विद्युत्कुमार, सुपर्णकुमार अग्निकुमार, वातकुमार, स्तनितकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार, दिकुमार इन नौ प्रकारके भवनवासी देवोंके शरीर
१ग जोयसिया ।
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