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________________ विषय सूची 97 पृष्ठ २५१ २५२ २५३ २७१ २५४ पृष्ठ दूसरे अनर्थविराति गुणव्रतका स्वरूप २५० अनर्थदण्डके पांच भेद अपध्यानका ,, लक्षण पापोपदेशकाप्रमादचर्याका , हिंसादानका , दुःश्रुतिका अनर्थदण्डका उपसंहार अनर्थदण्डविरतिके पांच अतिचार तीसरे भोगोपभोगपरिमाण व्रतका स्वरूप भोगोपभोगपरिमाण व्रतीकी प्रशंसा भोगोपभोगके अतिचार २५५ गुणव्रतों और शिक्षाव्रतोंमें आचार्योंके मतभेदका विवेचन सामायिक शिक्षाव्रतका स्वरूप २५६ सामायिक करने के योग्य क्षेत्र " " , काल २५७ " की विधि २५८ ., के अतिचार २५९ प्रोषधोपवास शिक्षाव्रतका स्वरूप २६० ,, के अतिचार २६१ पांच गाथाओंके द्वारा अतिथिसंविभाग व्रतका स्वरूप २६२ पात्रके तीन भेद दाताके सात गुण दानकी नौ विधियाँ चार दानोंकी श्रेष्ठता २६४ आहारदानका माहात्म्य दानका माहात्म्य २६६ 13 अतिथिसंविभागवतके अतिचार २६८ देशावकाशिक शिक्षाव्रतका स्वरूप , के अतिचार २६९ सल्लेखना धारण करनेका उपदेश २७० सल्लेखना का स्वरूप . ,, के अतिचार २७१ व्रतका माहात्म्य सामायिक प्रतिमाका स्वरूप २७२ सामायिककी विधि वगैरह २७२ छै गाथाओं द्वारा प्रोषध प्रतिमाका स्वरूप २७४ प्रोषधोपवासका माहात्म्य २७६ उपवासके दिन आरम्भका निषेध सचित्तविरत प्रतिमाका स्वरूप २७८ रात्रिभोजनविरति प्रतिमाका स्वरूप रात्रिभोजनत्यागका माहात्म्य २८० ब्रह्मचर्य प्रतिमाका स्वरूप शीलके अठारह हजार भेद २८१ आरम्भविरति प्रतिमाका स्वरूप परिग्रहविरति प्रतिमाका स्वरूप अनुमोदनविरति ,, , उद्दिष्टविरति प्रतिमा , २८५ व्रतपूर्वक सल्लेखना धारण करनेका फल २८६ वसुनन्दि आदि मतसे उद्दिष्ट प्रतिमाका विशेष कथन २८७ चारित्रसार ग्रन्थसे श्रावक धर्मका कथन २८८ यतिधर्मका स्वरूप ... २९० दस धर्मोका स्वरूप उत्तम क्षमा धर्मका स्वरूप २७९ २८२ २८४ २९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002713
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorSwami Kumar
AuthorA N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages594
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Spiritual
File Size15 MB
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