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________________ (२२) कोहचउक्के सब्बे अण्णाणदुगे तिदह हुंति॥ २४॥ आहारकद्विकरहिताः त्रयोदश स्त्रीनपुंसकयोः पुंसि। क्रोधचतुष्के सर्वे अज्ञानद्विके त्रयोदश भवन्ति। आहारय इत्यादि। स्त्रीवेदे नपुंसकवेदे च आहारकतन्मिश्रकाययोगद्वयरहिता अन्येऽवशिष्टास्त्रयोदश योगा भवन्ति। पुंसे- पुंवेदे, सव्वे-सर्वे पंचदश योगाः स्युः। इति वेदमार्गणा । कोहचउक्के सव्वे- क्रोध-चतुष्के क्रोधमानमायालाभचतुष्टये सर्वे योगा भवन्ति। इति कषाय-मार्गणा। अण्णाणदुगे-अज्ञानद्विके कुमतिकुश्रुतज्ञाने आहारकद्वय योगवास्त्रयोदश योगा भवन्ति।। २४।। ____ अन्वयार्थ- (इत्थीणउंसए) स्त्रीवेद और नपुंसकवेद में (आहारयदुग रहिया) आहारक काययोग और आहारक मिश्र काययोग से रहित अन्य शेष (तेरस) तेरह योग होते हैं। (पुंसे) पुंवेद में (सव्वे) सभी पन्द्रह योग होते हैं। (कोहचउक्के) क्रोध चतुष्क, अर्थात् क्रोध, मान, माया और लोभ में (सब्वे) सभी योग होते हैं। (अण्णाणदुगे) कुमतिकुश्रुतज्ञान में (तिदह हुंति) आहारकद्विक को छोड़कर तेरह योग होते हैं। मिस्सद्गाहारदुगंकम्मइयविहीण हुंति वेभंगे। दस सब्वे णाणतिए मणपज्जे पढमणवजोगा॥ २५॥ मिश्रद्विकाहारद्विककार्मणविहीना भवन्ति विभंगे। दश सर्वे ज्ञानत्रिके मनःपर्यये प्रथमनवयोगाः॥ मिस्सेत्यादि। विभंगज्ञाने कवधिज्ञाने, मिस्सेत्यादिऔदारिकमिश्रवैक्रियिक-मिश्रकाययोगद्वयाहारकतन्मिश्र- काययोगद्वयकार्मणकाययोगविहीनः उद्धरिता दशयोगा भवन्ति। ते के? अथै मनोवचनयोगा औदारिकवैक्रियिककाययोगौ एवं दश योगाः कवधिज्ञाने भवन्तीत्यथः सव्वे णाणतिए- ज्ञानत्रिके मतिश्रुतावधिज्ञानत्रये सर्वे पंचदशयोगा भवन्ति। मणपज्जे पढमणवजोगा- मनःपर्ययज्ञाने प्रथमे “अल्पादेर्वा' प्रथमा नवयोगा भवन्ति। ते के ? अष्टौ मनोवचनयोगा एक औदारिकयोग एवं नवयोगाः।।२५॥ अन्वयार्थ- (वेभंगे) विभंगावधि ज्ञान में (मिस्सादुगाहारदुर्ग कम्मइयविहीणं) मिश्र द्विक, आहारक द्विक और कार्मण काययोग से रहित (दस) दस योग (हुंति) होते हैं। (णाणतिए) ज्ञान त्रिक में (सव्वे) सभी योग (मणपज्जे) मनःपर्यय ज्ञान में (पढमणवजोगा) प्रथम नौ योग होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002711
Book TitleSiddhantasara
Original Sutra AuthorJinchandra Acharya
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherDigambar Sahitya Prakashan
Publication Year
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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