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________________ ३३-३६ ३६ २९-३१ ३१ ३२ ३२-३४ ३८-३९ ३३-३४ ४०-४१ ३४-३५ ४२ ४८-६८ ४८ काय , योग मार्गणा में उपयोग वेद , कषाय मार्गणा में उपयोग ज्ञान मार्गणा में उपयोग संयम मार्गणा उपयोग दर्शन मार्गणा उपयोग लेश्या , भव्य मार्गणा में उपयोग सम्यक्त्व मार्गणा में उपयोग संज्ञी आहार मार्गणा में उपयोग चौदह जीवसमासों में पन्द्रह योग चौदह जीवसमासों में उपयोग ७. चौदह गुणस्थानों में योग चौदह गुणस्थानों में उपयोग चौदह मार्गणाओं में आश्रव सत्तावन आस्रव के नाम गति मार्गणा में आस्त्रव इन्द्रिय मार्गणा में आस्रव काय मार्गणा में आस्रव योग मार्गणा में आस्रव वेद और कषाय मार्गणा में आस्रव ज्ञान मार्गणा में आस्रव संयम मार्गणा में आस्रव दर्शन, लेश्या मार्गणा में आस्रव भव्य, सम्यक्त्व मार्गणा में आस्रव संज्ञी, आहारक मार्गणा में आस्रव १०. चौदह जीवसमासों में आस्त्रव ११. चौदह गुणस्थानों में आस्त्रव प्रथम से पंचम गुणस्थान तक आस्रव षष्टम् गुणस्थान में आस्रव सप्तम, अष्टम, नवम और दशम गुणस्थानों में आस्रव ग्यारहवें से अयोग केवली तक आस्रव ग्रन्थकर्ता का नाम और अपनी लघुता का प्रदर्शन ४९-५० ५१-५३ ३६ ३६-३९ ३९-४० ४०-४१ ४१-४२ ४३-५८ ४३-४४ ४४-४५ ४५-४८ ४६-४८ ४८-४९ ४९-५० ५०-५२ ५२-५५ ५५-५७ ५७-५८ ५८-५९ ६०-६३ ५४-५५ ५६ ५७-५८ ५९-६२ ६२-६४ ६४-६६ ६६-६८ ६९-७० ७१-७७ ७१-७४ ६३-६६ ६६-६७ ६७-६८ ६८-६९ ६९-७० : ७८७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002711
Book TitleSiddhantasara
Original Sutra AuthorJinchandra Acharya
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherDigambar Sahitya Prakashan
Publication Year
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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