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संदृष्टि नं. 33
कुअवधिज्ञान आसव 52
कुअवधिज्ञान में 52 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 10 योग ( मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 2 - औदारिक और वैक्रियिक), कषाय 16, नोकषाय 9 । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि 2 होते हैं ।
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
1. मिथ्यात्व
[5] [5] मिथ्यात्व ]
2. सासादन
4 [ अनंतानुबंधी [4] कषाय ]
5. देशविस्त
9 [अप्रत्याख्यान क्रोध आदि 4, त्रस
अविरति, औदारिक
मिश्र, वैक्रियिकद्विक
और कार्मणकाययोग]
15 [गुणस्थानवत्]
आस्रव
| 52 [5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 10 योग (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 2 - ( औदारिक और वैक्रियिक), कषाय 16, नोकषाय 9]
| 47 [ उपर्युक्त 52 - 5 मिथ्यात्व ]
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संदृष्टि नं. 34
सज्ज्ञानत्रय आस्रव 48
सज्ज्ञानत्रय में 48 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं- अविरति 12, योग 15, अप्रत्याख्यान आदि 12 कषाय, नोकषाय 9 । गुणस्थान अविरत आदि 9 होते हैं ।
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
आस्रव अभाव
4. अविस्त
आसव
आस्रव अभाव
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5 [5] मिथ्यात्व]
46 [ अविरति 12, योग 13, (मनोयोग 4, 2 [ आहारक, आहारकमिश्र क्वनयोग 4, काययोग 5 -
काययोग ]
औदारिकद्विक, वैक्रियिकद्विक और कार्मण), अप्रत्याख्यान आदि 12 कषाय,
नोकषाय 9]
37 [गुणस्थानवत्]
11 [ अप्रत्याख्यान क्रोध आदि 4, त्रस अविरति, | औदारिकमिश्र, वैक्रियिकद्विक,
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